भोपाल : अब प्रवासी मजदूरों के खानपान, निवास एवं यात्रा की संपूर्ण जिम्मेदारी उसे ले जाने वाले ठेकेदार पर रहेगी। ऐसे ठेकेदार को राज्य के श्रम विभाग में अपना रजिस्ट्रेशन भी करवाना होगा। प्रवासी मजदूरों के संबंध में राज्य सरकार ने नए दिशा- निर्देश जारी किए हैं। कोरोना संक्रमण फैलने की शुरुआत में दूसरे प्रदेशों में काम करने वाले प्रदेश के मजदूर बड़ी संख्या में वापस लौटे थे। उनकी कोई देखभाल और चिंता न तो उन्हें ले जाने वाले ठेकेदारों ने की और न ही उन कंपनियों ने जहां वे काम कर रहे थे। केंद्र एवं राज्य सरकार को इनकी देखभाल करना पड़ी थी। इसके बाद राज्य सरकार ने प्रवासी मजदूरों को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के लागू होने के बाद मजदूरों की पूरी जिम्मेदारी संबंधित ठेकेदार और कंपनियों की होगी।
प्रवासी मजदूरों के लिए चलेगा विशेष सर्वे अभियान।
प्रदेश में प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष सर्वेअभियान 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2020 तक चलाया जा रहा है। इसमें ठेकेदारों का पंजीयन कर उन्हें लायसेंस दिए जाएंगे। सरकार ने तय किया है कि पांच या इसे अधिक अप्रवासी मजदूर ले जाने वाले ठेकेदारों को अपना पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। 5 से लेकर 400 से भी अधिक अप्रवासी मजदूरों के लिए ठेकेदार को पंजीयन शुल्क के रुप में 60 रुपये से लेकर 1500 रुपये और लायसेंस शुल्क 20 रुपये से लेकर 400 रुपये देना होगा। श्रम सेवा पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर पंजीयन एवं लायसेंस लेना होागा।
बिना पंजीयन के नहीं ले जा सकेंगे मजदूर।
इन निर्देशों में तय किया गया है कि बिना पंजीयन एवं लायसेंस के कोई भी ठेकेदार श्रमिकों को दूसरे राज्य में नहीं ले जा सकेगा। ठेकेदार द्वारा श्रमिकों को न्यूनतम वेतन से कम नहीं दिया जाएगा। मजदूरी का भुगतान उसके बैंक खाते में करना होगा। मजदूरों को उनके निवास से कार्यस्थल तक दोनों ओर का यात्रा किराया देना होगा। यात्रा अवधि भी मजदूर के कार्य के घण्टे माने जायेंगे। ठेकेदार हर मजदूर को फोटोयुक्त पासबुक देगा जिसमें मजदूर के बारे में मजदूरी सहित सारा विवरण होगा। प्रवासी मजदूर को केंद्र एवं राज्य की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा।