मजबूत थी शिवाजी महाराज की गुप्तचर व्यवस्था।
इंदौर : छत्रपति शिवाजी महाराज युगदृष्टा थे। वे कुशल रणनीतिकार, वीर योद्धा व असाधारण नेतृत्वकर्ता थे। उनके रणनीतिक कौशल का लोहा दुश्मन भी मानते थे। अमेरिका, वियतनाम, इजराइल, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के वॉर कॉलेजों में छत्रपति शिवाजी महाराज की युद्धनीति को लेकर विशेष पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं।उन्होंने त्रिस्तरीय गुप्तचर व्यवस्था विकसित की थी, जिसके जरिए दुश्मन की हर हलचल पर उनकी नजर रहती थी।
ये विचार ख्यात लेखक, पत्रकार और वैश्विक युद्ध नीतियों के विश्लेषक नितिन गोखले ने व्यक्त किए। वे छत्रपति शिवाजी महाराज के 351 वे राज्याभिषेक दिवस पर जाल सभागृह में आयोजित शोभा कुटुंबले स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे। संस्था सुशीला कला मंच के बैनर तले संपन्न हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत न्यायमूर्ति वीएस कोकजे ने की।
बेहद मजबूत थी शिवाजी महाराज की गुप्तचर व्यवस्था।
छत्रपति शिवाजी महाराज और समकालीन शासकों की गुप्तचर व्यवस्था विषय पर बोलते हुए नितिन गोखले ने कहा कि शिवाजी महाराज की गुप्तचर व्यवस्था दुश्मनों के मुकाबले बेहद मजबूत थी। मुगल, आदिलशाही और निजाम जैसे बलशाली शत्रुओं का मुकाबला उन्होंने अपने रणनीतिक कौशल और कारगर गुप्तचर प्रणाली के बूते ही किया और उन्हें धूल चटाई। दुश्मन के साथ घर के भेदियों पर भी उनकी कड़ी नजर रहती थी। प्राप्त गोपनीय सूचनाओं को तीन स्तरों पर पुष्टि के बाद ही वे उचित कदम उठाते थे। दुश्मनों की भी अपनी खुफिया व्यवस्थाएं थी पर वे वैसी कारगर नहीं थी, जैसी छत्रपति शिवाजी महाराज की खुफिया प्रणाली थी।गुलाम भारत में हिंदवी स्वराज्य की स्थापना करने का श्रेय शिवाजी महाराज को ही जाता है।
सामाजिक समरसता के प्रतीक थे शिवाजी महाराज।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सेवानिवृत न्यायमूर्ति वीएस कोकजे ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज केवल युग प्रवर्तक, कुशल रणनीतिकार, वीर योद्धा, गुरिल्ला युद्ध के जनक और आदर्श राजा ही नहीं थे, बल्कि वे सामाजिक समरसता के प्रतीक भी थे। साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व जातियों में बंटे समाज को एकजुट कर उन्होंने अपनी सेना खड़ी की और उसे छापामार युद्ध में पारंगत कर हिंदवी स्वराज्य स्थापित कर दिया। समाज के अंतिम व्यक्ति का भी उनके शासनकाल में पूरा सम्मान था।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण श्रीनिवास कुटुंबले ने दिया। अतिथि परिचय और संचालन की जिम्मेदारी ज्योति जैन ने निभाई। आभार श्रीनिवास कुटुंबले ने माना। बड़ी संख्या में मौजूद प्रबुद्धजनों ने इस व्याख्यान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।