*अरविंद तिवारी*
📕 बात यहां से शुरू करते हैं
🚥 कोई कुछ भी कहे लेकिन यह तो मानना पड़ेगा कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच विधानसभा उपचुनाव के दौरान गजब का तालमेल रहा। कौन कहां जाए, किसकी कहां ज्यादा जरूरत है,और कहां कौन बेहतर समन्वय बना सकता है, इसे लेकर दोनों के बीच की अंडरस्टैंडिंग का ही नतीजा है कि विधानसभा उपचुनाव के नतीजो को लेकर तमाम पूर्वानुमान ध्वस्त हो गए। यही नहीं इन दोनों के माध्यम से जो फीडबैक चुनाव के दौर में दिल्ली पहुंच रहा था उसी का नतीजा है कि अंतिम दौर में नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा को ग्वालियर चंबल क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाना पड़ी।
🚥 कांग्रेस के तमाम नेता उस एजेंसी और उन नेताओं को ढूंढ रहे हैं जिन्होंने कमलनाथ को यह फीडबैक दे रखा था कि विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को 20 से 22 सीटें मिल रही हैं और उनका मुख्यमंत्री बनना तय है। इसी आधार पर कमलनाथ मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में फिर वापस होने का दावा करते थे। उनके दावे पर भी नतीजों ने पानी फेर दिया। वे कहते थे कि यदि कांग्रेस को 18 सीट भी मिल गई तो भले ही वह सरकार ने बना पाए लेकिन भाजपा सरकार की रवानगी डलवा देंगे। खैर अब तो प्रदेश की कांग्रेस राजनीति में कमलनाथ के विरोधियों को उनके मध्य प्रदेश से रवाना होने का इंतजार है।
🚥 प्रदेश युवक कांग्रेस के नए अध्यक्ष का फैसला इस माह के अंत या अगले माह की शुरुआत में हो जाएगा। विपिन वानखेड़े के विधायक बनने के बाद अब इस पद के लिए दो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है पहला है डॉ विक्रांत भूरिया का और दूसरा पूर्व मंत्री लाखन सिंह के भतीजे संजय यादव का। दोनों अपने अपने हिसाब से लामबंदी में लग गए हैं और पार्टी के क्षत्रपों को साधने में लगे हैं। दोनों की ही नजर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर है क्योंकि जिस पर वह नजरें इनायत कर देंगे यही अध्यक्ष का ताज हासिल हो जाएगा। वैसे आदिवासियों के बीच खिसकते जनाधार के मद्देनजर इस पद के लिए पार्टी की प्राथमिकता यदि डॉक्टर भूरिया रहे तो चौंकने की जरूरत नहीं।
🚥 मुकेश श्रीवास्तव एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। कांग्रेस सरकार के दौर में बारास्ता मध्य प्रदेश माध्यम किए गए कथित प्रचार प्रसार के बचे हुए 40 करोड रू तो वे आज तक वसूल नही पाए लेकिन हाल ही के केंद्रीय एजेंसी के छापे ने उनकी परेशानी बढा दी है। इस छापे ने उन आय ए एस अफसरों की नींद भी उडा दी है जिनके विभागों का पैसा कांग्रेस सरकार के दौर मे माध्यम तक पहुंचने के बाद श्रीवास्तव के माध्यम से मैदान मे आया। इसमे से बहुत बडी राशि तो खर्च के रूप में कागजों पर ही दर्ज पायी गयी है।
🚥 कोरोनाकाल में इंदौर में संघ के विभाग संपर्क प्रमुख डा निशांत खरे की भूमिका को सबने सराहा था। ठीक उसी अंदाज में विधानसभा उपचुनाव के दौरान सांवेर में विभाग के सह संपर्क प्रमुख विनय पिंगले चर्चा में रहे। पिंगले की गिनती संघ के उन दिग्गजों में होती है जो पर्दे के पीछे रणनीतिकार की भूमिका में रहते है सांवेर में तो उन्होंने ही मैदान संभाला। जीतू पटवारी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी होने के बावजूद पिंगले ने खाती समाज के समीकरण को जिस तरह से तुलसी सिलावट के पक्ष में करवाया उसकी चर्चा आज भी है। मतदान के दिन इंडेक्स मेडिकल कालेज के बूथ पर उनकी मौजूदगी ने भाजपा के कई दिग्गजों को चौंका दिया था।
🚥 अरुण यादव भले ही अपने प्रभाव वाले दो निर्वाचन क्षेत्रों मांधाता और नेपानगर में कॉन्ग्रेस की नैया को पार न लगा सके हो लेकिन उनके जिले के तीन नेताओं डॉक्टर विजय लक्ष्मी साधो, झुमा सोलंकी और रवि जोशी ने तो अपने नंबर बढा ही लिए। डॉ साधो और श्रीमती सोलंकी डबरा तथा रवि जोशी दिमनी विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी थे और इन दोनों ही क्षेत्रों में कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई। स्वभाविक है श्रेय भी इन्हीं के खाते में दर्ज होना है। गौरतलब है की इन तीनों नेताओं की यादव से कभी पटरी नहीं बैठी।
🚥 विधानसभा उपचुनाव में सांवेर से तुलसी सिलावट की जीत को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किस तरह प्रतिष्ठा का प्रश्न बना रखा था इसकी एक बानगी देखिए। क्षेत्र में राजपूत मतों की संख्या अच्छी खासी है। मंत्री उषा ठाकुर तो इन्हें लामबंद करने में लगी ही थी पर मुख्यमंत्री के एक कार्यक्रम में समाज के लोगों के तेवर देख सिंधिया ने कोई जोखिम न उठाते हुए खुद मोहन सेंगर को फोन किया और सारे समीकरण समझने के बाद और सक्रियता से मैदान संभालने को कहा। इस चुनाव में करणी सेना को भाजपा के नजदीक लाने में भी सेंगर की ही अहम भूमिका रही।
🚥 चुंकि प्रतिभा पाल जल्दी ही लंबे अवकाश पर जाने वाली है इसलिए इंदौर नगर निगम के लिए नए कमिश्नर की तलाश शुरू हो गई। यह भी तय है कि इस मामले में कलेक्टर मनीष सिंह की भूमिका सबसे अहम रहना है। चुंकि इंदौर स्वच्छता के मामले में फिर देश मैं नंबर वन की ओर अग्रसर है और जल्दी ही नगर निगम के चुनाव भी होना है,इसलिए सरकार भी चाहती है कि कमिश्नर ऐसा अफसर हो जिसका सबके साथ बेहतर तालमेल रहे। दोनों स्थितियों और मनीष सिंह की पसंद को ध्यान में रखें तो निगमायुक्त के लिए नंबर वन पर तो इंदौर विकास प्राधिकरण के सीईओ विवेक क्षोत्रिय का ही नाम सामने आ रहा है।
🚶🏻♀️ चलते चलते 🚶🏻♀️
विधानसभा उपचुनाव में अलग-अलग मोर्चों पर भाजपा के तारणहार रहे रमेश मेंदोला, कृष्ण मुरारी मोघे,गोपीकृष्ण नेमा, मधु वर्मा,राजेश सोनकर, सुदर्शन गुप्ता, गोविंद मालू और उमेश शर्मा मैं से किसे कहा मौका मिलेगा इस पर सबकी निगाहें हैं।
🚨 पुछल्ला
दिसंबर अंत तक तो हरिनारायण चारी मिश्र ही इंदौर के डीआईजी रहेंगे। लेकिन नए साल की शुरुआत में उनके आईजी पद पर पदोन्नति के बाद इस पद को पाने के लिए अभी से लामबंदी शुरू हो गई है।
🎴अब बात मीडिया की
♦️ सालों तक दैनिक भास्कर और नई दुनिया से जुड़े रहे उदय मंडलोई अब भास्कर डिजिटल में अहम भूमिका में आ गए हैं। यहीं पर अब मोहन बागवान भी बड़ा दायित्व संभाल रहे हैं।
♦️ नई दुनिया में रीजनल डेस्क की बैकबोन माने जाने वाले ऋतुराज सिंह की इन दिनों संस्थान में गैरमौजूदगी मीडिया क्षेत्र में चर्चा का विषय है।
♦️ विधानसभा उपचुनाव के दौर में पत्रिका ने जो तेवर दिखाए और जिस तरह का प्रस्तुतीकरण रहा उसने स्टेट एडिटर विजय चौधरी का कद बढ़ाया ही है।
♦️ अनादि टीवी के साथ रहते हुए स्काई टीवी के नाम से केबल नेटवर्क लाने की तैयारी में लगे सुशील बजाज अब डिजीआना समूह से जुड़ गए हैं।
♦️ दैनिक भास्कर में आने वाले समय में कुछ बड़े बदलाव के संकेत हैं।