लोक नृत्यों की मनोहारी प्रस्तुतियों के साथ अंजाम तक पहुंचा मालवा उत्सव

  
Last Updated:  May 16, 2023 " 04:40 pm"

सजन मोरे घर आयो ठुमरी की रही प्रस्तुति खास।

काठी, ढाल तलवार, सिद्धि धमाल ,शिव लीला,गुदुम बाजा, काठी, पंथी नृत्य हुए।

इंदौर : मालवा उत्सव का आगाज जिस भव्यता के साथ हुआ था, सोमवार को अंतिम दिन भी वही भव्यता, उल्लास और उत्साह लोगों में दिखाई दिया।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि लालबाग परिसर में हर तरफ उल्लास का माहौल था। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रंगारंग प्रस्तुतियों का लोग आनंद ले रहे थे तो दूसरी तरफ फूड स्टॉल पर इंदौरी रंग चढ़ा हुआ था। मालवी जायके के साथ संपूर्ण भारतवर्ष के जायके का लोग लुत्फ उठा रहे थे।

लोक संस्कृति मंच के सचिव दीपक लंवगड़े एवं सतीश शर्मा ने बताया कि आखिरी दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम में गुजरात जूनागढ़ से आई टीम ने शौर्य पर आधारित ढाल तलवार नृत्य प्रस्तुत किया। यह नृत्य युद्ध में विजय प्राप्त करने के पश्चात किया जाता है। गुजरात से ही आई टीम द्वारा प्राचीन गरबा प्रस्तुत किया गया। वही गुजरात के भरूच जिले से पधारे सिद्धि धमाल समूह ने अफ्रीकन जनजाति का लोक नृत्य जो कि उनका पारंपरिक नृत्य है, प्रस्तुत किया।इसमें कमर पर विशेष प्रकार की परिधान पहनी गई थी।

शास्त्रीय व लोक नृत्यों की दी गई मनोहारी प्रस्तुतियां।

लोक संस्कृति मंच के नितिन तापड़िया, रितेश पिपलिया एवं संकल्प वर्मा ने बताया कि ध्रुपद अकादमी के कलाकार डॉ. आशीष पिल्लई के नेतृत्व में कथक नृत्य की प्रस्तुति तीन भागों में दी गई। प्रथम भाग में तीन ताल में तराना प्रस्तुत किया गया। द्वितीय भाग में गौतम काले द्वारा गाए गए गीत पर प्रस्तुति दी गई वहीं तीसरे भाग में ठुमरी “सजन मोरे घर आयो” पेश की गई।
वरदा कला संस्थान द्वारा शिव लीला का मंचन भरतनाट्यम नृत्य नाटिका द्वारा किया गया जिसमें द्वादश ज्योतिर्लिंग का रहस्य शिव तांडव आदि को दिखाया गया एवं शिव की विभिन्न लीलाओं और भाव को रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्त्रोत के माध्यम से प्रस्तुत किया गया । लाल कलर के कपड़े पहनकर कोडियो से सजी ड्रेस में और छोटे-छोटे ढोलक और टीमकी बजाकर उछल उछल कर गोंड जनजाति के कलाकारों द्वारा गुदुम बाजा नृत्य प्रस्तुत किया गया। अरवाचीन गरबा, जिसमें गोल घेरा बनाकर गरबा खेला गया। सिर पर पगड़ी एवं चेहरे पर कपड़ा बांधकर छत्तीसगढ़ से आए कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया। “सतनाम सतनाम दिया जलाए तेरे नाम” की धुन पर पंथी नृत्य प्रस्तुत हुआ जो लय ताल का एक सुंदर कांबिनेशन था। इसमें पिरामिड भी बनाए गए। बैतूल से आए लोक कलाकारों द्वारा गोंड जनजाति का थाट्या नृत्य भी दर्शकों को लुभा गया ।

इस मौके पर संसद लालवानी और संभागायुक्त पवन कुमार शर्मा ने ऊंट की सवारी का आनंद लेते हुए समूचे मेला परिसर का भ्रमण किया।

इस अवसर पर लोक संस्कृति मंच के पवन शर्मा, कंचन गिद्वानी ,मुद्रा शास्त्री, संध्या यादव, विशाल गिद्वानी , कपिल जैन, रितेश पिपलिया, दिलीप शारदा ,निवेश शर्मा, मुकेश पांडे, जुगल जोशी, राजेश बिहानी,विकास केतले मौजूद थे।

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