अरविंद तिवारी की कलम से…राजवाड़ा 2 रेसीडेंसी

  
Last Updated:  December 21, 2020 " 03:27 pm"

अरविंद तिवारी

📕 बात यहां से शुरू करते हैं

 • मध्यप्रदेश में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में टिकटों को लेकर सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का धर्मसंकट बढ़ गया है। सिंधिया के दफ़्तर में टिकट की आस में बॉयोडाटा लेकर पहुंचने वालों में पुराने कांग्रेसी और भाजपाई दोनों तरह के कार्यकर्ता हैं। खासतौर से शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, ग्वालियर, श्योपुर जैसे जिलों में पुराने कांग्रेसियों के साथ बीजेपी के कार्यकर्ताओं को भी लगता है कि इस क्षेत्र के टिकट वितरण में सिंधिया का ‘अपर हैंड’ रहेगा। नगर निगम और नगर पालिकाओं में टिकट के लिये एक तरफ सिंधिया के साथ कांग्रेस से भाजपा में आये उनके पुराने समर्थकों को उम्मीद है कि ‘महाराज’ उनके साथ कांग्रेस छोड़ने के त्याग का मान रखेंगे। दूसरी लोग बीजेपी का निचला कार्यकर्ता भी ये चाहता है कि जिस तरह सिंधिया नई भगवा-पार्टी को आत्मसात करने की बातें कर रहे हैं, उससे वे अपने पुराने वफादारों और बीजेपी के मूल कार्यकर्ता में भेदभाव नहीं करेंगे।

 • यदि प्रदेश के पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल के दफ्तर के बाहर Mp 50c 3810 नंबर की इनोवा गाड़ी खड़ी हो तो यह समझ जाइए की बालाघाट के सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति दिवाकर सिंह वहां मौजूद होंगे ही। 5 साल पहले मंत्री जी के संपर्क में आए दिवाकर सिंह की मर्जी के बिना अब विभाग में पत्ता भी नहीं खड़कता है और हर बैठक में वे मंत्री जी के समकक्ष ही बैठते हैं। मंत्री जी से अपनी मित्रता के चलते सिंह ने प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण के दौरान मिलने वाली शिष्यवृत्ति का पहला टेंडर निरस्त करवा दिया है और दूसरा भी अपने मन मुताबिक ना होने की स्थिति में रद्द करवाने की तैयारी कर ली है। दिवाकर चाहते हैं कि इस मामले में सब कुछ उनकी इच्छा के मुताबिक हो ताकि फायदा भी उन्हें ही मिल सके। ‌

 • विधायक संजय शुक्ला को इंदौर के महापौर पद के घुंघरू कैसे बंधे हैं, इसकी कहानी कम रोचक नहीं है। उनके पुत्र के विवाह समारोह में शामिल होने के लिए इंदौर आए कमलनाथ जब सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी और विनय बाकलीवाल के साथ जा रहे थे तब वर्मा ने गाड़ी में कमलनाथ के कान में शुक्ला का नाम फूंक दिया और इसके पीछे का गणित भी हाथों हाथ समझा दिया। सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि बगल में बैठे पटवारी ‘मूल’ समझ नहीं पाए और ‘ब्याज’ में हां में हां मिलाना पड़ी, सो अलग। जैसे ही कमलनाथ ने शुक्ला के नाम पर रजामंदी दी, साथ में बैठे बाकलीवाल के भी मुगालते दूर हो गए। वे दरअसल खुद को इंदौर में पूर्व मुख्यमंत्री का नंबर 1 मानते हुए महापौर पद की दौड़ में आ गए थे।

 • इसे ना घर का ना ही घाट का ही कहा जाएगा। आगर से विधायक बनने के बाद विपिन वानखेड़े युवक कांग्रेस चुनाव को लेकर बड़े असमंजस में रहे। पहले तो वह खुद ही चुनाव लड़ना चाहते थे और इसका ढिंढोरा भी खूब पीटा गया पर जब आसार ज्यादा ठीक नहीं नजर आए तो पीछे कदम खींच लिए। ऐन वक्त पर उन्होंने अपनी उम्मीदवारी तो वापस ले ली लेकिन समर्थन दे दिया विवेक त्रिपाठी को। जब नतीजे आए तो पता पड़ा कि विधायक जी की कमर तोड़ मेहनत के बावजूद त्रिपाठी पहले 3 में भी स्थान नहीं बना पाए। उनसे ज्यादा वोट तो मैदान छोड़ने के बावजूद वानखेड़े को हासिल हो गये।

 • मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर डॉ. विक्रांत भूरिया की जीत का श्रेय आखिरकार इंदौर के दो नेताओं पिंटू जोशी और अमन बजाज के खाते में दर्ज हो ही गया। इस काम में मंदसौर के सोमिल नाहटा सहित कई और नेता भी ईमानदारी से भागीदार बने। पिंटू जब डॉक्टर भूरिया को लेकर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से मिलने पहुंचे तो इन दोनों दिग्गजों ने भी उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा कि सारा खेल तो तुम्हीं ने जमाया है। मजेदार बात यह है कि दोनों जगह जीतू पटवारी भी इसके प्रत्यक्षदर्शी बने जिनके उम्मीदवार संजय यादव को इस चुनाव में करारी शिकस्त खानी पड़ी।

 • चुनाव आयोग की चिट्ठी के बाद भारतीय पुलिस सेवा के तीन दिग्गज अफसरों विमल कुमार, संजय माने और सुशोभन बनर्जी पर प्रकरण दर्ज होना तय हो गया है और इन तीनों अफसरों को ऑल इंडिया सर्विस रूल्स के तहत विभागीय जांच का सामना भी करना पड़ेगा। इससे तीनों का करियर प्रभावित होना भी तय है। इस मामले में पूर्व मुख्य सचिव सुधीरंजन मोहंती का उलझना भी तय है। जिस दिन तीनों पुलिस अफसरों पर एफआईआर दर्ज हो जाएगी उसके बाद अगला निशाना मोहंती ही रहेंगे। बात यहीं खत्म नहीं होना है बल्कि यह तो शुरुआत मानी जाएगी।

 • राज्य पुलिस सेवा में एक बार फिर सिकरवार युग की याद ताजा हो गई। सिकरवार से आशय है महेंद्र सिंह सिकरवार। अब डीआईजी बन चुके सिकरवार जब राज्य पुलिस सेवा अधिकारी संघ के अध्यक्ष थे तब उन्होंने सरकार से लड़ाई लड़कर इस सेवा के अफसरों को बहुत सी सहूलियत दिलवाई थीं और उनके पक्ष में कई फैसलों में बड़ा रोल अदा किया था। रापुसे के अधिकारी अब फिर संघर्ष के दौर में सिकरवार की नीति का अनुसरण कर रहे हैं और उन्होंने संगठन को मजबूत कर लड़ाई लड़ने का फैसला किया है। फर्क इतना है कि तब सिकरवार अध्यक्ष थे और अब 1998 बैच के अफसर जितेंद्र सिंह।

 • असमय हमें छोड़ कर चले गए एडीजी एसएम अफजल को याद किए बिना यह कॉलम अधूरा माना जाएगा। उनके इंतकाल के बाद उनके साथ नौकरी करने वाले पुलिस अफसरों, पत्रकारों नेताओं ने जो संस्मरण सोशल मीडिया पर शेयर किए वो अफजल साहब की मिलनसारिता, साफगोई, कला और संस्कृति के प्रति उनके प्रेम और जूनियर अफसरों के साथ स्नेह भाव की कहानी बयां करते हैं। उनके जाने के बाद ही पता चला कि वह खाने और खिलाने के भी कितने शौकीन थे। इन्हीं यादों के सहारे अफजल साहब को लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

चलते चलते

यदि राहुल गांधी ने कमलनाथ जैसे वरिष्ठ नेता से यह कहा भी है कि मुख्यमंत्री आप थे और सरकार संघ के लोग चला रहे थे तो इसे क्या माना जाएगा।

पुछल्ला

मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर एक आदिवासी युवा डॉ. विक्रांत भूरिया की ताजपोशी के बाद क्या यह माना जाए कि अब बाला बच्चन नेता प्रतिपक्ष की दौड़ से बाहर हो गए हैं।

अब बात मीडिया की

 • नईदुनिया इंदौर की मालकियत मार्च 2021तक फिर से विनय छजलानी के हाथों में आती दिख रही है। कॉस्ट कटिंग के नाम पर स्टाफ की‌ छटनी कहीं इसी कवायद का हिस्सा तो नहीं।

 • पत्रिका समूह के मध्यप्रदेश संस्करणों को लेकर फिर गहमागहमी है। दिल्ली के एक समूह ने इन संस्करणों को लेने में अपनी रुचि दिखाई है।

 • पत्रिका इंदौर के सांध्य संस्करण में सिटी रिपोर्टर पवन राठौर को अब मुख्य अखबार में डेस्क पर जिम्मेदारी दी गयी है।

 • नईदुनिया के संपादकीय साथी दिनेश शर्मा, भीमसिंह और आनंद भट्ट जल्दी ही भास्कर भोपाल में देखे जा सकते हैं।

 • एमकेएन न्यूज़ के नाम से भोपाल से एक नए चैनल का अवतरण हुआ है। जिसका इंदौर ब्यूरो प्रेस क्लब परिसर स्थित नए दफ्तर से संचालन होगा।

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