आतंकवाद पाक का सामरिक हथियार, उसे वह कभी नहीं छोड़ेगा – काटजू

  
Last Updated:  May 14, 2022 " 12:24 am"

अभ्यास मंडल की 61 वी ग्रीष्मकालीन व्याख्यान माला का समापन।

इंदौर : पूर्व राजदूत विवेक काटजू का कहना है कि पाकिस्तान शुरू से भारत को अपना परंपरागत दुश्मन मानता है,इसलिए वह आजादी के बाद से ही भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है, उसका सबसे बड़ा प्रमाण आतंकवाद है,।आतंकवाद पाक का भारत के खिलाफ सबसे बड़ा सामरिक हथियार है और वो इसे कभी नही छोड़ेगा।आज वह चीन के साथ अपनी दोस्ती बढ़ा रहा है,क्योंकि भारत के चीन के साथ अच्छे संबंध नहीं है।पाक में जो अंतरराष्ट्रीय कॉरिडोर बना रहा है,वह पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरता है, जो भारत के हितों के खिलाफ है, इसीलिए भारत ने उस पर विरोध जताया है।
श्री काटजू शुक्रवार शाम जाल सभागृह में अभ्यास मंडल की 61 वी ग्रीष्म कालीन व्याख्यान माला के अंतिम दिन भारत की विदेश नीति व पड़ोसी देश विषय पर बोल रहे थे।

2016 में आया गुणात्मक परिवर्तन।

विवेक काटजू ने कहा कि पाकिस्तान को लेकर भारत की विदेश नीति में गुणात्मक परिवर्तन 2016 में आया है। उड़ी व पुलवामा अटैक के बाद भारत ने पाकिस्तान में घुसकर जिसतरह जवाब दिया, उससे दुनिया को यह संदेश गया की अब भारत किसी दबाव में नहीं आने वाला।

समस्याओं से जूझ रहे पड़ोसी देश भारत के लिए चुनौती।

श्री काटजू ने भारत से जुड़े पड़ोसी देशों नेपाल, भूटान, बंगलादेश,म्यांमार, चीन, पाकिस्तान और समुद्री रास्ते से जुड़े नेबरहुड देश श्रीलंका व मालदीव का जिक्र करते हुए कहा कि इस समय संपूर्ण रीजन में तनाव है। रूस – यूक्रेन युद्ध से फूड, गैस और पेट्रोल- डीजल के दाम बेतहाशा बढ़े हैं। सभी इस समस्या से जूझ रहे हैं। श्रीलंका पारिवारिक और भाई भतीजावाद की राजनीति से त्रस्त है,उसके पास अनाज खरीदने तक के पैसे नहीं हैं। पाक में सेना का वर्चस्व और लड़खड़ाता प्रजातंत्र,नेपाल की भारत से बढ़ती अपेक्षा,अफगानिस्तान में तालिबान की जड़े मजबूत होना, ये हालात भारत की विदेश नीति के लिए चुनौती हैं।

भारत की विदेश नीति पड़ोसियों के साथ अच्छे रिश्ते बनाने की रही है।

श्री काटजू ने कहा कि भारत की विदेश नीति पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते बनाने की रही है। मोदी जब पहली बार प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने पहला विदेशी दौरा भूटान का किया था।आज भी भारत अफगानिस्तान को हजारों क्विंटल अनाज की मदद कर रहा है, वहीं श्रीलंका को भी खाद्यान्न की आपूर्ति कर रहा है।

भारत की विदेश नीति हमेशा स्वतंत्र रही है।

श्री काटजू ने आगे कहा की कभी भी देश के हित नही बदलते हैं। नीतियां बदलती है। भारत कभी भी अपने हितों के साथ समझोता नही करता है। हमारी विदेश नीति हमेशा स्वतंत्र और देश के हितों के अनुरूप रही है।

यह 1962 का भारत नहीं है।

काटजू ने कहा कि चीन से लगती सीमा पर भारत ने अपनी स्थिति मजबूत की है। यह 1962 का भारत नहीं है, इस बात का अहसास चीन को कराने में भारत सफल रहा है।

फिर लौट सकते हैं कोल्ड वॉर के दिन।

एक सवाल के जवाब में पूर्व राजदूत विवेक काटजू ने कहा कि यूक्रेन के साथ युद्ध के दौरान रूस और चीन के बीच जिसतरह नजदीकियां बढ़ीं हैं, उसने कोल्ड वॉर के दिन पुनः लौटने की आशंका बढ़ा दी है। सुपर पॉवर बनने की यह होड़ इस बार भयावह परिणामों को जन्म दे सकती है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथि स्वागत कीर्ति राणा,,अशोक कोठारी संतोष व्यास और नेताजी मोहिते ने किया। सुनील मकोड़े ने स्मृति चिन्ह प्रदान किए। संचालन वैशाली खरे ने किया। अंत में आभार आलोक खरे और संस्था अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता ने माना।
इस मौके पर श्री काटजू ने अभ्यास मंडल के द्वारका मालवीय का श्रीफल से सम्मान भी किया।

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