आम जनता पर नियम- शर्ते थोपने वाले प्रशासन की लापरवाही आई सामने, 10 दिनों में 4 हजार 800 सैम्पल हुए पेंडिंग..!

  
Last Updated:  July 14, 2020 " 01:35 pm"

इंदौर : शहर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के लिए शासन और प्रशासन सारी जिम्मेदारी आम जनता और कारोबारियों पर ढोल रहे हैं। तमाम नियम- शर्तें उन्हीं पर लादी जा रही हैं। लेफ्ट- राइट का नियम दुकानों पर लागू कर दिया गया है। सोशल डिस्टेंसिंग का हवाला देकर चोइथराम मंडी, जेलरोड जैसे मार्केट बन्द कर दिए गए हैं। मास्क नहीं पहनने पर स्पॉट फाइन किए जा रहे हैं। चौराहों पर खड़े होकर पुलिस चालानी कार्रवाई कर रही है। पहले ही नौकरी- धंधों के बर्बाद होने से लोग परेशान हैं, ऐसे में बजाय उन्हें राहत पहुंचाने के, सरकार और प्रशासन उनकी कमर तोड़ने पर तुले हैं। लॉक डाउन का भय दिखाकर उन्हें और परेशान किया जा रहा है लेकिन अपनी गलती और हद दर्जे की लापरवाही की ओर उनका ध्यान नहीं है।

मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 24 घंटे में टेस्टिंग रिपोर्ट जारी करने के दिए थे निर्देश..

सैम्पल टेस्टिंग को लेकर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं। बीते दिनों कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा इंदौर आए थे। उन्होंने टेस्टिंग में हो रही देरी पर संज्ञान लेते हुए 24 घंटे में सैम्पलों की रिपोर्ट जारी करने के निर्देश दिए थे पर उसे भी अधिकारियों ने नजरअंदाज कर दिया। हालात ये हो गए हैं कि जितने सैम्पल लिए जा रहे हैं, उस अनुपात में टेस्टिंग नहीं हो पा रही है। हालात ये हो गए हैं कि बीते 8- 10 दिनों से लगातार सैम्पल पेंडिंग हो रहे हैं।

नई मशीनें लगाने पर भी नहीं बढ़ पाई टेस्टिंग क्षमता..?

हाल ही में सांसद शंकर लालवानी ने मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब में नई मशीनों का लोकार्पण किया था। उस समय दावा किया गया था कि अब कोरोना की टेस्टिंग क्षमता बढ़कर 2 हजार प्रतिदिन हो जाएगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। जो हालात पहले थे वहीं आज हैं। रोज पेंडिंग सैम्पलों की संख्या बढ़ती जा रही है पर प्रशासन व जनप्रतिनिधि दोनों आंखें मूंदे हुए हैं।

10 दिनों में 4 हजार 8 सौ सैम्पल हुए पेंडिंग..!

4 से 13 जुलाई तक सीएमएचओ कार्यालय द्वारा जारी कोरोना के प्रतिदिन के आंकड़ों को खंगाला जाए तो टेस्टिंग में बरती जा रही लापरवाही की पोल खुल जाती है। अगर तारीख वार जायजा लिया जाए तो 4 जुलाई को 1584 सैम्पल लिए गए थे, टेस्टिंग 1271 की हुई। याने 313 सैम्पल पेंडिंग हो गए। 6 जुलाई को 1692 सैम्पल लिए गए, टेस्टिंग 1682 की हुई। अर्थात 10 सैम्पल पेंडिंग रहे। 7 जुलाई को 1612 सैम्पल जांच हेतु भेजे गए। 1545 की टेस्टिंग हुई। याने 67 सैम्पलों की जांच नहीं हो पाई। 8 जुलाई को 2295 सैम्पल लिए गए पर जांच 1392 की ही हुई।903 सैम्पल पेंडिंग रहे। 9 जुलाई को 2449 सैम्पल लिए गए, टेस्टिंग केवल 1461 की हुई। अर्थात 1088 सैम्पल पेंडिंग हो गए। 11 जुलाई को 2278 सैम्पल लिए गए और जांच 1463 की हुई। 815 सैम्पल पेंडिंग रहे। इसीतरह 12 जुलाई को 2725 सैम्पल जांच हेतु भेजे गए, 1946 की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई, याने 779 सैम्पल पेंडिंग हो गए। 13 जुलाई की बात करें तो 2393 सैम्पल लिए गए, 1211 की जांच की गई। 1182 सैम्पल पेंडेंसी में चले गए। इन सब को जोड़ा जाए तो बीते 10 दिनों में 5157 सैम्पल पेंडिंग हो गए हैं।
5 जुलाई को 1380 सैम्पल लिए गए और 1404 की टेस्टिंग की गई। याने 24 पेंडिंग सैम्पलों की जांच की गई। इसी तरह 10 जुलाई को 1438 सैम्पल लिए गए और 1759 की जांच की गई। अर्थात 321पेंडिंग सैम्पलों की टेस्टिंग की गई। याने बीते 10 दिनों में 2 दिन ही ऐसे रहे जब लिए गए सैम्पलों से ज्यादा की टेस्टिंग की गई। दोनो दिन के मिलाकर कुल 345 पेंडिंग सैम्पलों की जांच की गई। इन्हें अगर कुल पेंडिंग सैम्पलों में से घटा भी दिया जाए तो 4812 सैम्पल अभी भी पेंडिंग हैं। अर्थात इनकी जांच होना शेष है।

इतनी बड़ी तादाद में सैम्पलों का कैसे होगा निपटारा..?

हर बात के लिए आम जनता पर दोषारोपण करने वाला प्रशासन हजारों सैम्पल पेंडिंग होने पर मौन क्यों है। सांसद लालवानी से दो दिन पहले इस बारे में सवाल किया गया था तो उनका कहना था कि पेंडिंग सैम्पलों को टेस्टिंग के लिए अनुबंधित निजी लैब में भेजा जा रहा है। मान भी लिया जाए कि पेंडिंग सैम्पल टेस्टिंग के लिए भेज दिए गए हैं पर उनकी रिपोर्ट कब तक आएगी कहा नहीं जा सकता, ऐसे में फिर नई पेंडेंसी तैयार हो जाएगी। आखिर लिए गए सैम्पल पेंडिंग न रहे इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की है। अगर वे अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पा रहे हैं तो शहर में कोरोना संक्रमण की रोकथाम दूर की कौड़ी साबित होगी। केवल जनता पर नियम- शर्ते लादने से कुछ होनेवाला नहीं है।

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