जगन्नाथ के जयघोष से गूंजता रहा यात्रा मार्ग।
देश-विदेश के भक्तों और संतों ने हाथों से खींचा भगवान का रथ।
हरे रामा-हरे कृष्णा संकीर्तन पर नाचते-झूमते रहे श्रद्धालु।
इंदौर : शहर के पश्चिमी क्षेत्र के प्रमुख आस्था केन्द्र अन्नपूर्णा मंदिर से रविवार दोपहर निकली इस्कॉन की जगन्नाथ रथयात्रा ने राजबाड़ा स्थित गोपाल मंदिर तक करीब 5 कि.मी लंबे यात्रा मार्ग को हरे रामा हरे कृष्णा के संकीर्तन और भक्ति की रसधारा से सराबोर कर दिया। इस्कॉन मंदिर इंदौर के अध्यक्ष स्वामी महामनदास, अन्नपूर्णा आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि, स्वामी जयेन्द्रानंद गिरि, अखंडधाम के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप, हंसदास मठ के महामंडलेश्वर पवनदास महाराज, रणजीत हनुमान मंदिर के पुजारी पं. दीपेश व्यास सहित अनेक संतों-महंतों के सान्निध्य में नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, वरिष्ठ समाजसेवी विनोद अग्रवाल, प्रेमचंद गोयल, टीकमचंद गर्ग, राजेश गर्ग केटी, विष्णु बिंदल, पवन सिंघानिया आदि ने सुसज्जित हाईड्रोलिक रथ का पूजन कर इस रथयात्रा का शुभारंभ किया। उन्होंने स्वर्ण निर्मित झाड़ू से यात्रा मार्ग बुहारने की भी शुरूआत की।
शहर के अनेक धार्मिक, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, राजनेता, प्रबुद्धजन और बड़ी तादाद में श्रद्धालु भी इस यात्रा में भागीदार बने। समूचे मार्ग में 50 से अधिक स्वागत मंचों से पुष्प वर्षा कर रथयात्रा का स्वागत किया गया। भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा एवं भाई बलभद्र के विग्रह के पूजन का सिलसिला पूरे समय चलता रहा। देश-विदेश से आए इस्कॉन से जुड़े भक्तों ने यात्रा मार्ग में भजनों की मनोहारी प्रस्तुतियों से माहौल को भक्तिभाव से भरपूर बनाए रखा। मुख्य रथ से प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी पूरे समय चलती रही।
इस्कॉन मंदिर के अनेक संत एवं गुरूकुल के वेदपाठी बटुक शनिवार शाम को ही 51 फीट ऊंचा रथ लेकर अन्नपूर्णा मंदिर पहुंच गए थे।रविवार सुबह से रथ को वृंदावन से लाए गए फूलों और भगवान की पोशाख से श्रृंगारित करने के दौरान पहले से जमा भक्तों ने भजनों पर नाचने-गाने का सिलसिला शुरू कर दिया था। पश्चिम क्षेत्र में तीसरी बार निकली इस यात्रा में शामिल भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था।अनेक श्रद्धालु राधा और रुक्मणी के श्रृंगार में सज-धजकर आए थे। नन्हें-मुन्ने बच्चे भी विभिन्न देवी देवताओं के रूप में सजकर यात्रा के साथ चल रहे थे। सबसे पहले भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के विग्रह को अन्नपूर्णा आश्रम के वेद भवन से मखमली सिंहासन पर विराजित कर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, अतिथि विनोद-श्रीमती नीना अग्रवाल, टीकमचंद गर्ग, राजेश गर्ग केटी, विनोद सिंघानिया, अन्नपूर्णा मंदिर के ट्रस्टी श्याम सिंघल, पार्षद अभिषेक बबलू शर्मा एवं संतगण लेकर आए और रथ में विराजित किया। महाआरती एवं भगवान जगन्नाथ के गुणगान के बाद जैसे ही रथ में भगवान विराजित हुए, मंदिर परिसर में मौजूद हजारों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के जयघोष के बीच नाचने-झूमने लगे। इस अवसर पर स्वर्ण से निर्मित झाडुओं से श्रीमती नीना-विनोद अग्रवाल, टीकमचंद गर्ग, राजेश गर्ग केटी आदि ने यात्रा मार्ग को बुहारकर रथ यात्रा का शुभारंभ किया।
इस्कॉन की निर्माण समिति के अध्यक्ष पी.डी. अग्रवाल कांट्रेक्टर, रथयात्रा प्रभारी हरि अग्रवाल, यात्रा संयोजक किशोर गोयल एवं शैलेन्द्र मित्तल, भावेश दवे आदि ने सभी अतिथियों की अगवानी की।
जैसे ही रथयात्रा आगे बढ़ी, भगवान जगन्नाथ के जयघोष के बीच महिलाओं और पुरुषों में रथ को खींचने की होड़ सी मच गई। हरे रामा-हरे कृष्णा और भगवान जगन्नाथ के जयघोष से आकाश गुंजायमान होता रहा। मुख्य रथ के पीछे भगवान राधा गोविंद की झांकियां और गोपियो के श्रृंगार में आई महिलाएं भी आकर्षण का केन्द्र बनी रही। रथ के आगे आधा दर्जन छोटे वाहनों में भगवान को विराजित कर भजन गाते युवक-युवतियों की टोलियां भी चल रहीं थी। यात्रा में इस्कॉन इंदौर के विशाल दास, प्राणेश्वर दास, रक्षक गोरंगा, कृष्णार्चन दास, अच्युत गोपाल दास, लक्ष्मणदास, गिरधर गोपाल दास, लक्ष्मी नरसिम्हा दास, अद्विधरण दास, रणवीर दास, निर्मेष राठी, मोहन गोविंदा, केवल कृष्ण चावला, अद्वेत प्राण दास, विष्णु प्रिया देवी दासी एवं पार्वती देवी दासी भी शामिल रहे। भक्त मंडल की ओर से अशोक जायसवाल, मुरलीधर धामानी, विनय जैन, दिलीप गर्ग, राजेन्द्र सोनी, इस्कॉन से जुड़ी महिला साध्वी कृष्णादेवीदासी, सीमा सेन, राजकुमारी मिश्रा एवं अन्य भक्त भी पूरे समय व्यवस्थाएं संभाले रहे । अनेक विशिष्ट जनों ने भी रथयात्रा मार्ग में शामिल होकर भगवान का पूजन किया।
रथयात्रा अन्नपूर्णा मंदिर से प्रारंभ होकर नरेन्द्र तिवारी मार्ग, रणजीत हनुमान मंदिर, महूनाका, छत्रीपुरा, बियाबानी, मालगंज चौराहा से मल्हारगंज, टोरी कार्नर,गोराकुंड, खजूरी बाजार, राजबाड़ा होते हुए गोपाल मंदिर पहुंची।
पूरे समय हुआ प्रसाद वितरण। मुख्य रथ के पीछे एक वाहन पर फल एवं प्रसाद वितरण की व्यवस्था पूरे यात्रा मार्ग पर चलती रही। इस वाहन से 11 हजार केले, ढाई क्विंटल सूखे मेवे, एक क्विंटल पेड़े और मिठाई तथा बच्चों के लिए टॉफी, बिस्किट के वितरण का दौर अंत तक चलता रहा। पांच किलोमीटर की दूरी तय करने में रथयात्रा को करीब 5 घंटे का समय लगा। इस दौरान रथ के आगे-आगे स्वर्ण निर्मित झाडू से यात्रा मार्ग बुहारने के लिए भी भक्तों में होड़ मची रही। रथ के पीछे राधा गोविंद की जीवंत झांकी भी आकर्षण का केन्द्र बनी रही। दुर्गा वाहिनी की शौर्य की प्रतीक मातृशक्ति घोड़ों पर होकर भक्तों का अभिवादन कर रही थीं।
गोपाल मंदिर पहुंचने पर इस्कॉन से जुड़े संतों, देश-विदेश के भक्तों और स्थानीय कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देकर भक्तों को मंत्रमुग्ध बनाए रखा। समापन अवसर पर दस हजार से अधिक भक्तों ने प्रसादी का पुण्य लाभ उठाया। अंत में स्वामी महामनदास एवं यात्रा प्रभारी हरि अग्रवाल ने यात्रा को ऐतिहासिक और अनूठी बताते हुए सभी सहयोगी बंधुओं के प्रति आभार व्यक्त किया। समापन मौके पर रथ को राजबाड़ा पर आम लोगों के दर्शनार्थ रखा गया, जहां देर रात तक 10 हजार से अधिक लोगों ने दर्शन कर पूजा-अर्चना की।