इंदौर की वियांशी ने सबसे कम उम्र में हनुमान चालीसा का पाठ कर रचा विश्व कीर्तिमान

  
Last Updated:  June 9, 2023 " 10:50 pm"

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ वियांशी का नाम।

इंदौर : (राधिका कोडवानी) हुनरमंदों के शहर इंदौर ने एक और हुनर के जरिए गीनिज बुक का खिताब अपने नाम कर लिया। मध्यप्रदेश के लिए यह गौरव का क्षण था, जब इंदौर की तीन साल की बच्ची वियांशी बाहेती को हनुमान चालीसा का एकल पाठ करने वाली दुनिया की सबसे छोटी बच्ची घोषित किया गया। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लंदन और दिल्ली बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इंडिया ने वियांशी का नाम विश्व में सबसे कम उम्र के बच्चे के रूप में श्री हनुमान चालीसा के एकल गायन के लिए दर्ज किया। इंदौर की वियांशी 3 साल 3 महीने 25 दिन की उम्र में हनुमान चालीसा का पाठ करने वाली पहली बच्ची है। उसकी सफलता का श्रेय उसके माता-पिता दीपाली और अमित बाहेती को जाता है। दोनो कामकाजी हैं लेकिन अपने बच्चो को पूरा वक्त देते है। वे बताते है कि बच्चों को 5-7 बरस की उम्र तक, जो कुछ सिखाया जाता है वो उनके दिमाग में रह जाता है। इसलिए उनके आस-पास पॉजिटिव और लर्निंग माहौल बनाए रखना चाहिए। यही माहौल उनके अंदर की क्रिटिविटी और दिमागी शक्ति को विकसित करेगा। बच्चों की तर्कशक्ति और उनके व्यवहार की परख भी यहीं से होती है। आज की पीढ़ी को हमारे संस्कृति और संस्कारों का ज्ञान होना जरूरी है, जिससे वह सहीं दिशा में मुकाम हासिल करे।

उनका कहना था, किताबों का शौक शुरू से रहा, मगर आध्यात्मिक मूल्यों को विकसित करना चाहते थे। वहीं माहौल वियांशी को मिल गया। घर में पुजा-पाठ के दौरान वह सभी से प्रभावित थी। अपने ताउजी और मेरे साथ हनुमान चालीसा सुनकर सीख ली। ढाई साल की उम्र तक उसे आधे से ज्यादा हनुमान चालीसा याद हो गई, मगर शब्द साफ नहीं होने के कारण थोड़ा इंतजार करना पड़ा। इसके लिए उसकी पहली किताबों में से एक ‘मेरी पहली हनुमान चालीसा’ मिली। इसमें वह चित्र, अर्थ और अंग्रेजी में अनुवाद थे। माँ उसे प्रतिदिन शाम को पढ़ाती थी और पिता अपने दैनिक अभ्यास के दौरान सुबह उसे यह पाठ सुनाते थे। धीरे-धीरे वियंशी के सारे शब्द साफ हो गए और वह पूरी चालीसा शुद्ध उच्चारण के साथ पढ़ने, बोलने लगी।

वियांशी के पिता के मुताबिक एक मित्र के सुझाव पर, रिकॉर्ड देखा और पाया कि वह अकेले चालीसा का पाठ करने वाली सबसे कम उम्र की बच्ची थीं। इसके बाद यही कोशिश रही कि यह खिताब वियांशी के नाम हो। उसने परिवार के साथ इंदौर का नाम भी रोशन कर दिया। वियांशी की उम्र तीन साल तीन महीने है, लेकिन इस उम्र में भी वह क्रिएटिव है और अच्छा गाती है। इसलिए उसे संगीत की तालीम भी दे रहे हैं। उसने श्रीराम कृपालु भजन भी रामचरित मानस से याद कर लिया है। इसी साल स्कूल में दाखिला कराया है। बच्चों के लिए किताबी ज्ञान के साथ मौलिक ज्ञान भी जरूरी है तभी तो वह अपनी जिंदगी को खूबसूरत बना पाएंगे।

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