इंदौर : शहर के पश्चिमी क्षेत्र में एमओजी लाइन स्थित इंदौर नेत्र चिकित्सालय पर लगाई गई सील और ताले खोलने के आदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने दिए हैं।
जिला प्रशासन ने लीज रेंट को लेकर करीब 15 दिन पूर्व इंदौर नेत्र चिकित्सालय और परिसर को सील कर ताले डाल दिये थे। अस्पताल प्रबंधन ने जिला प्रशासन की इस कार्रवाई को गलत ठहराते हुए वरिष्ठ अभिभाषक एके सेठी और आरएस शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में यह सवाल उठाया गया था कि प्रशासन ने किस प्रावधान के तहत अस्पताल का कब्जा लेकर सील व ताले लगाने की कार्रवाई की है। जस्टिस रोहित आर्य की बेंच में शनिवार को मामले की सुनवाई हुई। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने इंदौर नेत्र चिकित्सालय की सील व ताले तुरन्त प्रभाव से खोलने का आदेश पारित किया।
दो माह पूर्व 15 मरीजों की आंखें हुई थीं प्रभावित।
इंदौर नेत्र चिकित्सालय में करीब दो माह पहले धार और अन्य स्थानों से आए मरीजों की आंखों के ऑपरेशन किये गए थे। एक दिन बाद ही इन मरीजों की आंखों में इंफेक्शन होने से उन्हें दिखाई देना बंद हो गया था। इसको लेकर भारी बवाल मचने के बाद प्रदेश सरकार ने चैन्नई से विशेषज्ञ डॉक्टर बुलाकर इन मरीजों का परीक्षण कराया था। जिन मरीजों की आंखों में गंभीर इंफेक्शन पाया गया उन्हें इलाज हेतु शंकर नेत्रालय चैन्नई भेजा गया था। शेष मरीजों का यहीं अन्य अस्पतालों में उपचार कराया गया। तमाम कवायदों के बावजूद 7 मरीजों की आंखों की रोशनी वापस नहीं लाई जा सकी थी। इस मामले में अस्पताल के दो डॉक्टरों डॉ. सुधीर महाशब्दे और डॉ. सुहास बांडे के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी।