इंदौर : कुदरत का नूर, कालजयी गायिका लता मंगेशकर भले ही लौकिक रूप से अब हमारे बीच नहीं हैं पर गीत- संगीत का जो साम्राज्य वे हमारे लिए छोड़ गईं हैं, वो इतना विशाल है कि वर्तमान और आनेवाली कई पीढियां उनके गीतों में सुकून का अहसास करती रहेंगी। वाकई वो एक दिव्यात्मा थीं, उनके जैसा न कोई है और न होगा। इंदौर की बेटी होने से इंदौर वासियों का लताजी से विशेष लगाव था। यही कारण है कि उनकी यादों को संजोने और उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने का सिलसिला सतत जारी है।
पत्रकारों की प्रतिनिधि संस्था इंदौर प्रेस क्लब ने भी इंदौर की बेटी लता दीदी की याद में स्वरांजलि का आयोजन किया। शनिवार शाम प्रेस क्लब में आयोजित इस कार्यक्रम में लताजी को शाब्दिक और सुरमई श्रद्धांजलि दी गई। लताजी का बड़ा चित्र प्रेस क्लब परिसर में रखा गया था। क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी और अन्य पदाधिकारियों सहित कार्यक्रम में पहुंचे सैकड़ों लोगों ने भी लताजी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।बाद में प्रेस क्लब के राजेन्द्र माथुर सभागार में शाब्दिक श्रद्धांजलि और गीतों भरी स्वरांजलि पेश की गई।
लताजी पर हिंदी में कम साहित्य लिखा गया।
वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र व्यास ने कहा कि लताजी का व्यक्तित्व और कृतित्व जितना विशाल था, उस लिहाज से उनपर हिंदी साहित्य में बहुत कम किताबें लिखी गईं, ये दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर लताजी पश्चिमी देशों की निवासी होतीं तो अब तक उनपर सैकड़ों पुस्तकें और शोध प्रबंध लिखे जा चुके होते।
शिखर पर पहुंचकर भी विनम्र बनीं रहीं लताजी।
संस्कृतिकर्मी संजय पटेल ने लता दीदी को याद करते हुए कहा कि वे इंदौर की बेटी थी इसका हमें अभिमान होना चाहिए।शिखर पर पहुंच कर भी विनम्र बनीं रहीं। नारी सशक्तिकरण की वे उदाहरण थीं। उनके गीत युवा पीढ़ी को सुनाए जाने चाहिए ताकि उनमें बदलाव लाया जा सके।
शहर की गायिकाओं ने पेश की स्वरांजलि।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में लताजी के ही गीत गाकर अपना मुकाम बनानेवाली शहर की पुरानी व नवोदित गायिकाओं ने सुरीले अंदाज में लताजी को नमन किया। रसिका गावड़े ने लताजी के गाए भजन ‘बाजे रे मुरलिया बाजे’ से स्वरांजलि की शुरुआत की। उनके बाद गुरुषा दुबे, अनार्ता भास्कर, आकांक्षा जाचक, जयति बेहरे, अर्पिता बोबडे, मोना शेवड़े, सपना भाटे- केकरे, नूपुर पंडित, अनुभा खाडिलकर, राशिका नीमा, पूनम ठाकुर ने अलग- अलग मूड के गीत पेश कर लताजी को याद किया। जिन गीतों के जरिए लताजी को स्वरांजलि पेश की गई उनमें माई रे, मैं कासे कहूँ, तन भी सुंदर- मन भी सुंदर, चंदन सा बदन, तुमसे मोहब्बत हो गई है मुझे, तेरी आँखों के सिवा, सांझ भई घर आ जा रे पिया, मेरी आवाज ही पहचान है, आएगा आनेवाला, मोसे छल किए जाए सैंया बेशुमार, कुछ दिल ने कहा, लग जा गले, एक प्यार का नगमा है, यारा सिली- सिली, तू जहां- जहां चलेगा, रोज शाम आती थी पर ऐसी न थीं, ये दिल और उनकी निगाहों के साए, ओ मेरे दिल के चैन सहित कई अन्य गीत शामिल थे। ऐ मेरे वतन के लोगों के साथ कार्यक्रम अपने अंजाम तक पहुंचा। संगीत संयोजन राजेश मिश्रा का था। संगत कलाकार थे रवि सालके, बाबला गजभिये और अनूप कुलपारे। कार्यक्रम का संचालन राजेश जैन ने किया।
इस मौके पर लताजी को स्वरांजलि पेश करने वाली सभी गायिकाओं को इंदौर प्रेस क्लब की ओर से अध्यक्ष अरविंद तिवारी और उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी ने प्रशस्ति पत्र भेंट किए। कोषाध्यक्ष संजय त्रिपाठी सहित प्रेस क्लब के अन्य पदाधिकारी, विशिष्टजन और बड़ी तादाद में सुधि श्रोता कार्यक्रम में मौजूद रहे।