इंदौर : कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा लगाए गए टोटल लॉकडाउन को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। तमाम वरिष्ठ नेताओं और गणमान्य लोगों ने कलेक्टर के इस निर्णय को तानाशाही पूर्ण करार देते हुए उसपर पुनः विचार की मांग की है।
अलोकतांत्रिक और तानाशाही भरा निर्णय।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर में टोटल लॉकडाउन लगाने पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है “आखिर क्या जरूरत है एक अलोकतांत्रिक और तानाशाही भरे निर्णय को इंदौर जैसे अनुशासित शहर पर थोपने की, जिस निर्णय की सर्वत्र निंदा हो रही हो उसपर पुनः विचार होना ही चाहिए। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को मिलकर विचार करना चाहिए।”
गोदामों में रखा माल निकालने के लिए दें समय।
वरिष्ठ बीजेपी नेता कृष्णमुरारी मोघे ने भी ताबड़तोड़ तरीके से इंदौर शहर में लॉकडाउन थोपे जाने पर नाखुशी जताई है। उन्होंने कहा कि किसान और व्यापारियों के फल व सब्जियां गोदामों में रखे होते हैं।उन्हें निकालने के लिए कम से कम 12 घंटे का समय देना चाहिए था। इससे किसान, व्यापारी और आम उपभोक्ता तीनों को नुकसान होगा। उन्होंने इस बारे में सीएम शिवराज को पत्र भी लिखा है।
बीजेपी के प्रदेश वार्ताकार जेपी मूलचंदानी ने भी बिना मोहलत दिए टोटल लॉकडाउन लगाए जाने पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इसतरह का निर्णय लोगों की परेशानी को बढ़ावा देगा।
सोशल मीडिया पर भी लोगों ने प्रशासन के निर्णय को बताया गलत।
लॉक डाउन लगाने के बाद से ही इंदौर जिला प्रशासन लोगों के निशाने पर आ गया है। सोशल मीडिया पर लोग जनकर अपना आक्रोश जता रहे हैं। उनका कहना है कि बीते डेढ़ माह से जनता व कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ है। सारी गतिविधियां ठप हैं, ऐसे में टोटल लॉकडाउन लगा देना समझ से परे है। लोगों का यह भी कहना है कि क्या डेढ़ माह में संक्रमण की चेन नहीं टूटी है। अगर हां तो ये लॉक डाउन क्यों..? उन्होंने किराना व सब्जी की दुकानें बन्द करने पर सवाल खड़े किए हैं। लोगों का कहना है कि प्रशासन ने ऐसा कर कालाबाजारी को बढ़ावा दिया है। लोगों का ये भी कहना है कि कोरोना के कई मरीज होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे हैं। उन्हें इम्म्युनिटी बढाने के लिए फल व सब्जियों की जरूरत होती है। अगर उन्हें ये न मिले तो उनकी तबीयत पर विपरीत असर पड़ सकता है।
उन्हें भी दी जाए घूमकर फल- सब्जी बेचने की अनुमति।
ठेले पर फल व सब्जी बेचने वाले फुटकर व्यापारियों का कहना है कि प्रशासन ने बड़ी कम्पनियों को ऑनलाइन बुकिंग कर किराना व सब्जी की होम डिलीवरी करने की छूट दी है। उसीतरह उन्हें भी गली- मोहल्लों में घूमकर फल- सब्जी बेचने की छूट मिलना चाहिए। इससे भीड़ लगने की आशंका भी नहीं होगी।
बहरहाल, चौतरफा विरोध और आलोचना के बाद भी प्रशासन फिलहाल अपने निर्णय पर अडिग है। सत्ताधारी दल के नेता प्रशासन का तुगलकी निर्णय बदलवा पाते हैं या नहीं इसपर अब सबकी निगाहें टिकी हैं।