इंदौर: साहित्य के तीन दिवसीय महाकुंभ इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल का शुक्रवार को रंगारंग आगाज हुआ। स्थानीय सयाजी होटल में आयोजित इस साहित्य उत्सव के उदघाटन समारोह में रस्किन बांड, देवदत्त पटनायक, अश्विन सांघी और अन्य जाने- माने साहित्यकारों ने उपस्थिति दर्ज कराई। इस मौके पर अमेरिकी बच्चों ने कबीर के दोहे के साथ हरिवंशराय बच्चन की कविता पेश कर साहित्य और संस्कृति प्रेमियों की खूब दाद बटोरी। रागिनी मक्खर ने भी कलात्मक प्रस्तुतियां दी।
उदघाटन समारोह के बाद विभिन्न साहित्यिक सत्रों का सिलसिला शुरू हो गया। पहले सत्र में ख्यात लेखक रस्किन बांड श्रोताओं से रूबरू हुए। उन्होंने अपने लेखन की चर्चा करते हुए कहा कि लेखक कभी रिटायर्ड नहीं होता। इसके बाद देवदत्त पटनायक ने पौराणिक आख्यानों के संदर्भ में अपनी बात रखी। पत्रकार विनय छजलानी ने रोचक अंदाज में उनसे सवाल किए। श्री पटनायक ने उतने ही दिलचस्प अंदाज़ में जवाब दिए। उन्होंने रामायण- महाभारत की विभिन्नताओं के साथ समानताओं को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा में स्त्री को बराबर का दर्जा मिला हुआ है। मनुष्य के पशुवत बर्ताव को उन्होंने अधर्म बताया।
कहानी वचन के सत्र में ज्योति जैन, अमिता नीरव और भारती दीक्षित ने कहानियों का पाठ किया।
साहित्य का महासमर सत्र में आशुतोष दुबे ने लेखक नरेंद्र कोहली से संवाद किया। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत जैसा सहिष्णु देश पूरी दुनिया में नहीं है। उनका कहना था कि फिल्मों ने साहित्य को नुकसान पहुंचाया है।
इसके अलावा पहले दिन अन्य चर्चा सत्र और रचना पाठ का दौर चला। एक सत्र हास्य- व्यंग्य पर भी रखा गया।
पहले दिन के चर्चा सत्रों में साहित्य प्रेमियों की खासी उपस्थिति रही। इनमें बड़ी तादाद युवाओं की भी थी। इस साहित्य उत्सव में देश- विदेश से लेखक, साहित्यकार और रचनाकार भाग ले रहे हैं। शनिवार और रविवार को भी चर्चा सत्र और विचारमंथन का सिलसिला जारी रहेगा।
इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल का रंगारंग आगाज़।
Last Updated: December 21, 2018 " 03:18 pm"
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