इंदौर : कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण को लेकर कमिश्नर कार्यालय में रखे गए संवाद में मीडियाकर्मियों ने विशेषज्ञ चिकित्सकों से कई सवाल किए। ourliveindia.com की ओर से महत्वपूर्ण सवाल कोरोना से मृत मरीजों का पोस्टमार्टम नहीं किए जाने को लेकर किया गया। विदेशों में कोरोना से मृत मरीजों के शवों का पोस्टमार्टम करवाकर यह जानने की कोशिश की गई है कि मौत की वजह क्या है, लेकिन भारत में डेढ़ लाख से ज्यादा और अकेले इंदौर में हजार से अधिक मरीजों की मौत के बावजूद आज तक किसी शव का पोस्टमार्टम नहीं करवाया गया।
इथिकल कमेटी को भेजा गया है प्रस्ताव।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने माना कि कोरोना से हुई मौतों के मामले में अभी तक पोस्टमार्टम नहीं करवाया गया है।उन्होंने कहा कि कोरोना से मृत मरीजों के शवों का पोस्टमार्टम उनके परिजनों की सहमति से करवाने सम्बन्धी प्रस्ताव मप्र सरकार की इथिकल कमेटी को भेजा गया है। वहां से हरी झंडी मिलते ही पैथॉलॉजिकल पीएम करवाकर मौतों की वजह जानने की कोशिश की जाएगी। इससे गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों के इलाज की सही दिशा तय करने में मदद मिल सकेगी।
डैमेज हो जाते हैं फेफड़े।
डॉ. वीपी पांडे ने कहा कि विदेशों में कोरोना से मृत लोगों के पोस्टमार्टम को लेकर हाल ही में जो स्टडीज सामने आई है उसके मुताबिक फेफड़ों का पूरीतरह डैमेज होना प्रमुख कारण के रूप में सामने आया है। फेफड़ों के डैमेज होने का असर किडनी व अन्य अंगों पर भी पड़ता है, जिससे मरीज की मौत हो जाती है। डॉ. पांडे के अनुसार फेफड़े एक बार डैमेज होने के बाद रिपेयर नहीं किए जा सकते। कुछ मामलों में मरीज के अचानक गंभीर होने और दम तोड़ देने की वजह पोस्टमार्टम की अनुमति मिलने पर पता की जा सकेगी।