इंदौर : लागू होने के बाद जीएसटी कानून में समय समय पर कई बदलाव होते रहे है | रिटर्न फॉर्म जो जीएसटी लागू करते समय सोचे गए थे, उस रूप में नहीं आ पाए। इन सब कारणों से रिटर्न भरने में यदि किसी व्यापारी से गलती हुई है तो 2017-2018 से लेकर आज तक व्यवसायियों द्वारा भरे गए रिटर्न्स की स्क्रूटनी विभाग द्वारा प्रारम्भ कर दी गई है। मुख्य रूप से जीएसटीआर 1 में दिखाई गई कर की देयता और 3बी के माध्यम से कर के भुगतान में अंतर होने पर, जीएसटीआर-2बी से करदाता द्वारा ली गई इनपुट टैक्स क्रेडिट का मिलान नही होने, इ वे बिल में दर्शाए गए टर्नओवर और कर का जीएसटीआर – 3बी एवं जीएसटीआर – 1 मिलान नहीं होना और अन्य कई कारणों से ऐसे नोटिस जारी ही रहे हैं। इसके अलावा
जीएसटीआर – 3बी देर से भरने के कारण देय राशि का भुगतान केश में होने पर धारा 50 के तहत ब्याज भी देय होता है जो कुछ दशाओं में भरा नहीं भरा गया है। इन सब कारणों से विभिन्न रिटर्न्स में अंतर को विभाग चिन्हित कर नोटिस जारी कर रहा है | विभाग द्वारा कर की राशि के साथ ब्याज व पेनल्टी की भी मांग की जा रही है। इन नोटिस को समझकर इनका जवाब कैसे दिया जाए इस संबंध में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की इंदौर शाखा और टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन द्वारा एक संयुक्त सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सी ए शैलेंद्र पोरवाल ने इस संबंध में कहा कि नोटिस प्राप्त होने पर उसे गंभीरता से लेना चाहिए। कई बार जवाब समय पर नहीं देने से विभाग द्वारा एक पक्षीय कार्रवाई की जा सकती है।
नोटिस प्राप्त होने पर अध्ययन कर करें भुगतान।
उन्होंने कहा कि नोटिस प्राप्त होने पर करदाता को सबसे पहले उससे संबंधित प्रावधान एवम अपने रिकॉर्ड का अध्ययन करते हुए यह निर्धारित करना चाहिए कि विभाग द्वारा जारी की गई मांग सही है या नहीं। यदि मांग सही हो तो उसे तुरंत भर देना चहिए ताकि पेनल्टी से बचा जा सके। ऐसी मांग से करदाता की असहमति की दशा में संबंधित प्रावधानों का हवाला देते हुए आवश्यक प्रपत्र के साथ अपना जवाब प्रस्तुत करना चाहिए।
उन्होंने करदाता को अपना रिटर्न बहुत ही सावधानी से भरने की सलाह दी। इसके लिए गुड्स या सर्विस के विक्रय को अपने रिकॉर्ड से मिलान करके, 2बी में उपलब्ध इनपुट टैक्स क्रेडिट का मिलान, ई वे बिल का सही रिकॉर्ड रखके इन नोटिस से बचा जा सकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जे पी सराफ ने कहा कि कई बार करदाता द्वारा गलती होने पर आगे के रिटर्न में उसे ठीक कर लिया जाता है परंतु उसका संज्ञान नही लेते हुए विभाग द्वारा जिस माह या पीरियड में गलती हुई है उसी का नोटिस दिया जा रहा है जो गलत हैं। इसके लिए विभाग को साल भर के पीरियड की जांच करते हुए यदि अंतर हो तभी नोटिस जारी करना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन सीजीएसटी सचिव कृष्ण गर्ग ने किया। आभार प्रदर्शन एसजीएसटी सचिव मनोज पी गुप्ता ने किया। कार्यक्रम में मानद सचिव सीए अभय शर्मा, एम डी अग्रवाल, सोम सिंघल, प्रमोद गर्ग, सीए शाखा के अध्यक्ष मौसम राठी, आनंद जैन एवं काफी बड़ी संख्या में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, एडवोकेट, कर सलाहकार उपस्थित थे।