एडीजे पिता और पुत्र की फ़ूड पॉइजनिंग से संदिग्ध मौत..!

  
Last Updated:  July 26, 2020 " 03:50 pm"

बैतूल : जिला मुख्यालय में न्यायाधीश पिता और पुत्र की कथित तौर पर फुड प्वाइजनिंग से मौत से हड़कंप मच गया है। अचानक इस तरह मौत होना किसी के गले नहीं उतर रहा है।पुलिस भी जांच- पड़ताल में जुटी है।

सूत्रों से मिली जानकारी पर यकीन करें तो बैतूल जिला न्यायालय में पदस्थ एडीजे महेन्द्र कुमार त्रिपाठी कालापाठा स्थित निवास में अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ रहते थे। बताया जाता है कि 20 या 21 जुलाई की ( दिनांक को लेकर स्थिति स्पष्ट नीं है ) रात को उन्होंने भोजन किया। घर में कुल 6 चपाती बनी थी। पिता और दोनों बेटों ने 2-2 चपाती खाई जबकि पत्नी ने सिर्फ चावल खाए। भोजन के बाद बाप-बेटों की हालत एकाएक बिगड़ने लगी। 22 को दिन भर उल्टी-दस्त होते रहे। न्यायाधीश त्रिपाठी की पत्नी ने पहले तो घरेलू उपचार से हालात संभालने की कोशिश की, जब पति और बेटे की तबियत में सुधार नहीं हुआ तो 23 जुलाई की दोपहर डॉक्टर को सूचित किया।इसके बाद जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. एके पांडे और डॉ. आनंद मालवीय उन्हें देखने पहुंचे। देखने के बाद जिला अस्पताल में भर्ती करने की बात कही लेकिन न्यायाधीश श्री त्रिपाठी ने एंबुलेंस बुलाकर पाढर अस्पताल ले जाने को कहा।
पाढर अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार पिता और बड़ा बेटा 23 जुलाई को भर्ती हुए। जबकि छोटे बेटे की हालत ठीक हो गई थी।

नागपुर ले जाते समय हुई मौत।

इलाज के उपरांत पिता- पुत्र की हालत में कुछ सुधार भी आया। शनिवार 25 जुलाई की सुबह भी जो लोग उनसे मिले उनकी दोनों से अच्छे से बात हुई थी और जल्द ही अस्पताल से छुट्टी मिलने की बात भी की। लेकिन शनिवार की शाम दोनों की हालत फिर बिगड़ी, इसके बाद पिता- पुत्र को पाढर से नागपुर एलेक्स अस्पताल भेजा गया।
बताया यही जा रहा कि रास्ते में ही 25 वर्षीय बड़े बेटे ने दम तोड़ दिया जबकि देर रात न्यायाधीश पिता की भी उपचार के दौरान मौत हो गई।

आटे में जहरीली वस्तु होने की आशंका।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक बैतूल पुलिस ने न्यायाधीश के बयान ले लिए थे जिसमें उन्होंने आटे की जांच की बात कही थी। पुलिस ने आटा जब्त कर घर सील कर दिया है। आटे के नमूने जांच के लिए भेज दिए गए हैं।
बताया यह भी गया कि आटा शायद इंदौर से आया था। आटे में किसी के व्दारा कुछ मिलाने की आशंका पर भी पुलिस जांच कर रही है।
हालांकि न्यायाधीश त्रिपाठी तो डायबिटीज और बीपी के मरीज थे लेकिन बड़े बेटे को कसरत का शौक था। ऐसे में फुड प्वाइजनिंग से उसकी मौत किसी के गले नहीं उतर रही। एक तथ्य यह भी है कि मौत से पहले दोनों करीब ढाई दिन पाढर अस्पताल में उपचार रत रहे। इतने समय में फुड प्वाइजनिंग सरीखी बीमारी आमतौर पर कंट्रोल में आ जाती है। लेकिन इलाज के बाद भी दोनों की स्थिति बिगड़ी और पाढर अस्पताल से ले जाने के कुछ घंटों के अंदर ही बाप-बेटे की मौत हो गई।
पिता- पुत्र के शव का पोस्टमार्टम नागपुर में हो रहा है। उसके बाद उनके पैतृक घर कटनी में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

मामला एक वरिष्ठ जज का होने से पुलिस भी पूर्ण सावधानी बरत रही है। हर ऐंगल से मामले को जांच में लिया गया है ताकि मौत का सही कारण सामने आ सके।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *