इंदौर : जैसी की आशंका जताई जा रही थी कमलनाथ सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव प्रणाली में बदलाव का प्रस्ताव केबिनेट की बैठक में पास कर दिया है। अब स्थानीय निकायों के महापौर के चुनाव अप्रत्यक्ष पद्धति से होंगे अर्थात अब पार्षद ही महापौर का चुनाव करेंगे। अभी तक नगर निगमों के महापौर सीधे जनता के द्वारा चुने जाते थे। करीब 20 से पूर्व तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ही ये सिलसिला शुरू किया था लेकिन कमलनाथ सरकार ने फिर से पुरानी प्रणाली को लागू कर दिया है।
कमलनाथ को सता रहा कुर्सी जाने का भय।
फिलहाल प्रदेश की सभी 16 नगर निगमों पर बीजेपी का कब्जा है। बीजेपी नेताओं का आरोप है कि लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार और कांग्रेस मचे अंतर कलह को देखते हुए सीएम कमलनाथ को ये भय सताने लगा था कि कहीं निकाय चुनाव में भी हार झेलनी पड़ी तो उनकी कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। इसके अलावा गुटों में बंटी कांग्रेस के पास ऐसे सर्वमान्य चेहरों की भी कमीं है जिन्हें महापौर के लिये सीधे निर्वाचन में जनता के बीच उतारा जाए। ऐसे में उपयुक्त यही समझा गया कि निकाय चुनाव अप्रत्यक्ष रीति से करवाए जाएं।
खरीद – फरोख्त को मिलेगा बढ़ावा।
महापौरों का चुनाव पार्षदों के बीच से किये जाने के फैसले से एक बार फिर खरीद- फरोख्त को बढ़ावा मिलने की आशंका जताई जा रही है। वहीं पार्षदों के दबाव में महापौर ठीक से काम भी नहीं कर पाएंगे। उनका सारा ध्यान अपनी कुर्सी बचाने में ही लगा रहेगा। अब देखना यही है कि सीएम कमलनाथ की ये कवायद नगर निगमों में कांग्रेस की आवाज बुलंद कर पाती है या नहीं।