करदाताओं के लिए नई परेशानी खड़ी कर रहा जीएसटी कानून

  
Last Updated:  August 20, 2022 " 04:30 pm"

जीएसटी कानून पर आयोजित सेमिनार में बोले कर विशेषज्ञ जेके मित्तल

इंदौर : टैक्स प्रैक्टिश्नर्स एसोसिएशन और इंदौर सीए ब्रांच ने संयुक्त रूप से “जीएसटी अनुपालन में आ रही व्यावहारिक कठिनाइयां” विषय पर सेमिनार का आयोजन किया। सेमिनार को नई दिल्ली से पधारे प्रसिद्ध सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट जेके मित्तल ने सम्बोधित किया।

करदाताओं के लिए नई परेशानी खड़ी कर रहा जीएसटी कानून।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जब जीएसटी लागू किया था तब सभी की यह अपेक्षा थी कि इस नयी कर प्रणाली से, कर सम्बंधित विवादों में कमी आएगी और करदाता को उसके द्वारा चुकाए गए कर का क्रेडिट (इनपुट टैक्स क्रेडिट) बहुत आसानी से मिलेगा ! लेकिन जी एस टी कानून अपने मूल रूप से भटककर करदाताओं के लिए नित नयी परेशानी खड़ी कर रहा है !

एडवांस रूलिंग का नहीं मिल रहा लाभ।

वक्ता जे के मित्तल ने कहा कि सरकार द्वारा जीएसटी के अंतर्गत आने वाली परेशानियों के समाधान के लिए एक बहुत ही अच्छी व्यवस्था `एडवांस रूलिंग” के रूप में की गयी है ! इसके अंतर्गत, करदाता कुछ विशिष्ट मामलो में आवेदन लगाकर स्पष्टीकरण प्राप्त कर सकते हैं। पर यह स्पष्टीकरण विभाग के अधिकारियों द्वारा ही दिया जाता है अतः ज्यादातर मामलों में सरकार के पक्ष को ध्यान रखते हुए ही आदेश जारी किए जाते हैं। इस कारण से इसकी बहुत ज्यादा उपयोगिता नहीं रह गयी है। इससे बहुत सारे नए विवाद खड़े हो रहे हैं।

सम्मन से बन रहा भय का माहौल।

अधिकारियों द्वारा बड़ी संख्या में जारी किए जाने वाले सम्मन (summon) की बात करते हुए उन्होंने बताया कि सरकार के निर्देशानुसार सम्मन कुछ विशेष परिस्थितियों में ही जारी किया जा सकता है पर अधिकारियों द्वारा बिना उचित कारण दर्शाए धड़ल्ले से सम्मन जारी किए जा रहे हैं। सम्मन द्वारा करदाताओं को जानकारी देने या वक्तव्य देने के लिए व्यक्तिगत रूप से बुलाया जाता है जिसके कारण उनमें भय का माहौल उत्पन्न होता है।

कई एजेंसियों के पास है जांच का जिम्मा।

श्री मित्तल ने प्रत्यक्ष कर (आयकर ) से जीएसटी की तुलना करते हुए कहा कि आयकर में कर अपवंचन की सम्भावना के बावजूद बहुत कम जांच (स्क्रूटिनी) की जाती है जबकि इस अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में सम्बंधित कर अधिकारी के अलावा बहुत सारे विभाग जैसे प्रिवेंटिव, डीजीजीआई , ऑडिट द्वारा भी जांच की जाती है ! जिसके कारण करदाता स्वयं को परेशान महसूस कर रहा है ! शहर के बाहर के अधिकारियों द्वारा जारी किए जाने वाले सम्मन के बारे में उन्होंने बताया की cpc के अंतर्गत वाहन उपलब्ध होने की दशा में शहरी सीमा से 200 मील (करीब 320 km ) एवं वाहन उपलब्ध नहीं होने की दशा में 50 मील (करीब 80 km ) की दूरी तक के लिए व्यक्तिगत रूप से बुलाया जा सकता है।

सीसीटीवी कैमरा लगाकर हो सर्चिंग।

सर्च की दशा में उन्होंने बताया की सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देश जारी किये गए है कि सम्बंधित विभाग में सी सी टीवी कैमरा लगाए जाए एवं इसकी रिकॉर्डिंग ६ माह तक रखी जाए ! इससे करदाताओं को विभागीय अधिकारियों के नाज़ायज़ तरीकों से की जाने वाली पूछताछ से मुक्ति मिलेगी ! जीएसटी के तहत आने वाली विभिन्न परेशानियों पर विस्तृत में चर्चा करते हुए उन्होंने सभी टैक्स प्रोफेशनल्स को केस को बारीकी से समझने एवं बेहतर ढंग से अपना पक्ष रखने की बात कही !

इसके पूर्व टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सी ए शैलेन्द्र सोलंकी ने कहा कि जीएसटी के अंतर्गत एक व्यापारी, सरकार के लिए टैक्स वसूलकर सरकारी खजाने में जमा कराता है। एक एजेंट के रूप में कार्य करने के बावजूद उसके लिए बहुत सारे रिकॉर्ड रखकर समय पर कर भुगतान का दबाव रहता है ! जीएसटी के अंतर्गत जरा सी चूक पर ब्याज एवं पेनल्टी के बहुत ही कड़े नियम है ! सरकार को चाहिए कि सामान्य व्यापारी को विश्वास में लेते हुए कर अपवंचन में लिप्त व्यपारियों पर ही कार्रवाई करे !

सी ए अभय शर्मा ने उपस्थित कर सलाहकारों को सुझाव देते हुए कहा कि कोई भी समस्या होने पर इसे बड़े अधिकारियों के सज्ञान में लाना चाहिए ! कार्यक्रम में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की इंदौर शाखा के सचिव रजत धानुका, पी डी नागर , एस एन गोयल , आर एस गोयल, जे पी सराफ, अजय सामारिआ, विकास गुरु, नवीन खंडेलवाल एवं बड़ी संख्या में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स , कर सलाहकार और अधिवक्ता उपस्थित हुए !
कार्यक्रम का संचालन टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के सचिव सी ए कृष्ण गर्ग ने किया। आभार सी ए सुनील पी जैन ने माना।

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