बीजेपी के गले की फांस बना ‘बम’ कांड,
प्रदेश अध्यक्ष शर्मा द्वारा बम को खोटा सिक्का बताने से बीजेपी की अंदरूनी खींचतान हुई उजागर।
इंदौर : ‘बम’ कांड बीजेपी के गले की फांस बन गया है, जिसे न निगलते बन रहा है और उगलते बन रहा है। मंत्री गुट द्वारा रचित तत्कालीन कॉन्ग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम के नामांकन वापसी के एपिसोड से बीजेपी को चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। आम जनमानस में भी इसका नकारात्मक मैसेज गया है। सूरत में घटित घटनाक्रम को इंदौर में दोहराने की कोशिश बीजेपी के गले पड़ गई है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन सहित बीजेपी के कई बड़े नेताओं द्वारा समूचे घटनाक्रम पर अपनी नाराजगी जताने के बाद अलग – थलग पड़े मंत्री गुट ने अक्षय बम को पुनः मीडिया के सामने लाकर नाम वापसी को लेकर उठ रहे तमाम सवालों का जवाब उन्हीं से मुंह से दिलवाने की असफल कोशिश जरूर की लेकिन नाम वापसी के समय दिए बयान और बाद में प्रेस वार्ता में कही गई बातों में विरोधाभास होने से मामला और उलझ गया। चुनाव में प्रत्याशी विहीन हुई कांग्रेस इस घटनाक्रम से जैसे सोते से जाग गई और उसने चुनाव को नोटा विरुद्ध बीजेपी बनाने का अभियान छेड़ दिया है। ‘बम’ कांड का रायता नोटा तक फेल जाने से घबराई बीजेपी अब नोटा अभियान को लोकतंत्र पर हमला बता रही है। दो दिन पूर्व इंदौर आए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने नाम वापस लेकर बीजेपी में शामिल हो चुके बम को ही खोटा सिक्का बता दिया, जबकि वह बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। इससे ये भी संदेश जा रहा है कि बम एपिसोड पर बीजेपी में ही असंतोष व्याप्त है। ऐसा माना जा रहा है कि मंत्री गुट ने अपनी झांकी जमाने के चक्कर में प्रदेश नेतृत्व को भी समूचे घटनाक्रम से अनभिज्ञ रखा। हैरत की बात ये है कि जिसे बीजेपी का प्रादेशिक नेतृत्व खोटा सिक्का बता रहा है,उसे मंत्री गुट साहसी बताकर बीजेपी के प्रचार में उसका इस्तेमाल भी कर रहा है।इस अंदरूनी खींचतान में उलझी बीजेपी कांग्रेस के नोटा प्रचार से घबराई हुई है। उसने अपना सारा जोर अब इंदौर में अधिकाधिक मतदान करवाने पर लगा दिया है।
बहरहाल, नोटा विरुद्ध बीजेपी की ये लड़ाई रोचक मोड़ पर पहुंच गई है। अब देखना ये है कि इंदौर नोटा में भी नंबर वन का रिकॉर्ड बना पाता है या नहीं।