केंद्रीय नेतृत्व के दबाव में शिंदे को बनाया सीएम, पाटिल की स्वीकारोक्ति से मचा हड़कंप

  
Last Updated:  July 24, 2022 " 08:29 pm"

मुंबई : शनिवार को मुंबई के पनवेल में आयोजित की गई महाराष्ट्र बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के वक्तव्य ने इस बात पर मुहर लगा दी की शिवसेना में फूट डालकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी की सरकार को गिराने का प्लान बीजेपी ने ही बनाया था। उनके बयान में कहा गया था कि एकनाथ शिंदे को सीएम बनाने का निर्णय बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने लिया था और हमने उसे दिल पर पत्थर रखकर स्वीकार किया। देवेंद्र फडणवीस ने मजबूरी में उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार किया। पाटिल का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया। विपक्षी दलों ने बीजेपी की घेराबंदी शुरू कर दी वहीं शिवसेना भी हमलावर हो गई। शिंदे गुट में भी चंद्रकांत पाटिल के बयान पर नाराजगी व्यक्त की जाने लगी। इससे घबराए बीजेपी के केंद्रीय नेताओं ने महाराष्ट्र बीजेपी के पदाधिकारियों को हड़काया। इसके बाद न केवल चंद्रकांत पाटिल का बयान बीजेपी के सभी माध्यमों से डिलीट कर दिया गया बल्कि उनके बयान को लेकर बीजेपी की ओर से सफाई भी पेश की गई।

लंबे समय से चल रही थी शिवसेना को तोड़ने की कवायद।

सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जो बातें कहीं, उससे इस बात का भी खुलासा हो गया कि बीजेपी, शिवसेना के विधायकों को प्रलोभन देकर तोड़ने की योजना पर लंबे समय से काम कर रही थी। जो भी घटनाक्रम हुआ, सब प्लानिग के मुताबिक था।

पहले एनसीपी को तोड़ने की कोशिश की थी।

बता दें कि बीजेपी ने पहले एनसीपी को तोड़ने का प्रयास किया था। अजीत पंवार को अपने पाले में लाकर रात के अंधेरे में देवेंद्र फडणवीस ने शपथ भी ले ली थी लेकिन शरद पंवार के रहते एनसीपी के विधायक अजीत पंवार के साथ नहीं गए। मजबूरन बड़े बेआबरू होकर फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद से ही शिवसेना के विधायकों को तोड़ने की कवायद शुरू हो गई थी और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का भी इसे पूरा समर्थन था।

कच्चे खिलाड़ी निकले उद्धव ठाकरे।

हैरत की बात ये है की बीजेपी, शिवसेना को दो फाड़ करने की साजिश रचती रही पर शिवसेना प्रमुख और तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इससे अनजान बनें रहे। उनके करीबी नेता ही उनकी पीठ में खंजर भोंक रहे थे और उन्हें इसकी खबर ही नहीं थी। देखा जाए तो अपने विधायकों से उनका संवाद लगभग खत्म हो गया था, इसी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। सरकार तो गई, पार्टी भी दो फाड़ हो गई। राजनीति के कच्चे खिलाड़ी निकले उद्धव ठाकरे।

बीएमसी चुनाव पर है बीजेपी की नजर।

छल – कपट से महाराष्ट्र की सत्ता हथियाने के बाद अब बीजेपी की नजर देश की सबसे अमीर कही जाने वाली बृहन्मुंबई महानगर पालिका पर है, जिसके चुनाव इसी वर्ष के अंत में होना है। बीते 25 वर्षों से भी अधिक समय से बीएमसी पर शिवसेना का कब्जा है। बीजेपी का पहला लक्ष्य बीएमसी पर वर्चस्व स्थापित करना है।

मोहरे के रूप में शिंदे का कर रही इस्तेमाल।

दरअसल, एकनाथ शिंदे को मोहरा बनाकर बीजेपी उनका इस्तेमाल कर रही है। उसका मकसद महाराष्ट्र की सत्ता पर एकछत्र राज करना है। देखा जाए तो जिस दिन से शिंदे की अगुवाई में सरकार बनी है, उसी दिन से उसकी उलटी गिनती शुरू हो गई है।सरकार का गठन होकर 23 दिन हो चुके हैं पर अभी तक मंत्रिमंडल आकार नहीं ले पाया है। आशंका ये भी जताई जा रही है की शिंदे गुट के जिन विधायकों को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिल पाएगा वे पाला बदलकर फिर से उद्धव ठाकरे के साथ जा सकते हैं, ऐसे में शिंदे सरकार ज्यादा दिन की मेहमान दिखाई नहीं दे रही है।

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