नई दिल्ली : केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रस्तावित चंबल एक्सप्रेस परियोजना की समीक्षा की।
बैठक के दौरान श्री गडकरी ने परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए पर्यावरण संबंधी मंजूरी, भूमि अधिग्रहण और रॉयल्टी व स्थानीय करों में छूट पर बल दिया। उन्होंने रेखांकित किया कि सुगम यातायात और व्यापारिक वस्तुओं की आवाजाही के अलावा, इस परियोजना से एक्सप्रेस वे के साथ लगे हुए पिछड़े इलाकों और लोगों को बहुत लाभ होगा। श्री गडकरी ने यह भी कहा कि भूमि अधिग्रहण से औद्योगिक और वाणिज्यिक समूहों के साथ दोनों ओर स्मार्ट शहरों, मंडियों, हाटों आदि की संभावनाओं के साथ एक्सप्रेस वे के किनारे सुविधाओं के विकास को पूरा किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना सम्बंधित जिलों और आसपास के क्षेत्रों में रोजगार की अपार संभावनाएं भी प्रदान करती हैं।
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश व राजस्थान से गुजरते हुए भिंड को कोटा से जोड़ने की यह 8,200 करोड़ रुपए की परियोजना है। यह स्वर्णिम चतुर्भुज के दिल्ली-कोलकाता गलियारे, उत्तर-दक्षिण गलियारे, पूर्व-पश्चिम गलियारे और दिल्ली-मुंबई-एक्सप्रेस वे के साथ क्रॉस कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा
परियोजना की लागत में कमी लाने की आवश्यकता पर बल देते हुए, श्री गडकरी ने कहा कि परियोजना सामग्री पर रॉयल्टी और कर छूटों से 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत होगी।
केंद्रीय मंत्री ने सुझाव दिया कि जिन राज्यों से होकर यह सड़क गुजरेगी, उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक की अध्यक्षता करनी चाहिए जिससे राज्य संबंधी सभी विशिष्ट मुद्दों को सुलझाया जा सके। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश इस परियोजना के लिए पहले ही खनिजों की रॉयल्टी पर छूट प्रदान कर चुका है।
श्री गडकरी ने बताया कि उन्होंने एनएचएआई के चेयरमैन को जल्द से जल्द डीपीआर तैयार करने का निर्देश दिया है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि भूमि अधिग्रहण के बाद लगभग 2 वर्षों में यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बेहतर समन्वय और प्रगति के लिए, चंबल विकास प्राधिकरण का गठन किया जा सकता है। उन्होंने राज्यों से वन, पर्यावरण और भूमि अधिग्रहण के मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर सुलझाने का आह्वान किया।
इसके अलावा, श्री गडकरी ने राज्यों को आमंत्रित किया कि वे इस क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों के लिए बस, बंदरगाहों और चालक प्रशिक्षण स्कूलों के प्रस्तावों को भेजें।
मंत्री गडकरी ने महसूस किया कि इस परियोजना में भी लॉजिस्टिक पार्क हो सकते हैं जैसे इंदौर, जबलपुर और जयपुर के लॉजिस्टिक्स पार्कों (एमएमएलपी) को बनाया जा रहा है।
इसमें लगभग 404 किलोमीटर की परियोजना जोड़ी जा सकती है, जो मध्य प्रदेश के रास्ते कानपुर से कोटा तक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगी और फिर यह दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर- द लाइफलाइन ऑफ द कंट्री- में जुड़ जाएगी।
इस ऑनलाइन समीक्षा बैठक में, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने परियोजना कार्यान्वयन में तेजी लाने और खर्च में कटौती करने के संदर्भ में श्री गडकरी की बातों से सहमति व्यक्त की।