इंदौर : कैलाश विजयवर्गीय की छवि दबंग नेता की मानी जाती है पर उनके व्यक्तित्व का एक पहलू ऐसा भी है, जिसपर किसी का ध्यान नहीं जाता, जिसकी कभी चर्चा नहीं होती। वह पहलू है, मानवीय संवेदना का। वे शहर के शायद एकमात्र ऐसे नेता हैं जो बीते 35- 36 वर्षों से राखी और दीपावली जैसे त्योहारों की खुशियां विशेष बच्चों और अपनों के ठुकराए वृद्धजनों के बीच बांटते आ रहे हैं। परिवार और पारिवारिक मूल्यों को बेहद अहमियत देने वाले कैलाश विजयवर्गीय मानते हैं कि बुजुर्गों का आशीर्वाद और विशेष बच्चों की दुआएं उनके लिए बेहद मायने रखती हैं, इसीलिए वे त्योहारों की खुशियां वृद्धाश्रम में जाकर वहां रहने वाले उन बुजुर्गों के बीच मनाते हैं जो अपनों के प्यार से वंचित हैं। खुशियों के इन पलों में वे मूक- बधिर, दृष्टिहीन और मानसिक दिव्यांग बच्चों को भी शामिल करते हैं। विजयवर्गीय के मुताबिक वे कहीं भी रहें पर राखी और दीपावली पर इन बुजुर्गों और दिव्यांग बच्चों के बीच आना नहीं भूलते।
आस्था वृद्धाश्रम में बांटी दीपावली की खुशियां।
प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी दीपावली पर कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला और अन्य साथियों के साथ परदेशीपुरा स्थित आस्था वृद्धाश्रम पहुंचे। बुजुर्गों व दृष्टिहीन, मूक- बधिर और मानसिक दिव्यांग बालक- बालिकाओं के साथ विजयवर्गीय ने अंताक्षरी खेली। हमेशा की तरह दिव्यांग बच्चों ने इस बार भी उन्हें हरा दिया। कैलाशजी ने इस मौके पर कई गीत भी सुनाएं। इन गीतों पर बच्चों और बुजुर्गों ने नृत्य करते हुए खूब आनंद लिया। अपना गम, तकलीफ भूलकर बुजुर्गों ने दीपोत्सव की खुशियों का जमकर लुत्फ उठाया। बाद में बुजुर्गों और दिव्यांग बच्चों को विजयवर्गीय और मेंदोला ने मिठाई खिलाई और उपहार वितरित किए। उनके लिए भोजन का प्रबंध भी किया गया था।
पर्दे के पीछे सारी व्यवस्था पार्षद राजेश राठौर ने संभाल रखी थी।
करीब 2-3 घंटे तक दिव्यांग बच्चों और बुजुर्गों के बीच बिताने के बाद कैलाश विजयवर्गीय ने रुखसत ली, इस वादे के साथ की वे जल्द ही बुजुर्गों और विशेष बच्चों से मिलने फिर आएंगे।