गरिमा संजय दुबे के ललित निबंध संग्रह समर्पयामी का लोकार्पण

  
Last Updated:  July 31, 2023 " 08:04 pm"

ललित निबंध लालित्य का सृजन करता है : उपाध्याय

लेखक के खतरा उठाए बगैर समाज उन्नति नहीं कर सकता : पंकज सुबीर।

इंदौर : वामा साहित्य मंच के बैनर तले इंदौर प्रेस क्लब में सुपरिचित लेखिका गरिमा संजय दुबे के ललित निबंध संग्रह समर्पयामि का लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता व वरिष्ठ साहित्यकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय ने की। चर्चाकार व मुख्य अतिथि के रुप में साहित्य अकादमी निदेशक डॉ. विकास दवे, साहित्यकार व प्रकाशक शिवना प्रकाशन पंकज सुबीर व लेखिका ज्योति जैन उपस्थित थे। सभी अतिथियों ने औपचारिक रूप से डॉ. गरिमा दुबे के ललित निबंध संग्रह समर्पयामी का लोकार्पण किया।

विधा में पारंगत होने के लिए कला मर्मज्ञ होना जरूरी।

वर्तमान दौर में ललित निबंध का सृजन भी दुस्साहस है : ज्योति जैन।

इस मौके पर अपने विचार रखते हुए वरिष्ठ साहित्यकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय ने विधा आधारित वक्तव्य में कहा कि ललित निबंध, व्यक्तिव्यंजक निबंध का हिस्सा हैं। विधा में पारंगत होने के लिए कला मर्मज्ञ होना आवश्यक है, ललित निबंध लेखक के तथ्यों को दृष्टि सम्पन्नता से आगे ले जाता है, विचार देता है और लालित्य का सृजन करता है। गरिमा के निबंध, कांटों को मुरझाने का खौफ नहीं होता, मादकता पर्सोनिफाईड व शरद , श्रीराम पर आधारित निबंधों का उल्लेख कर उन्होंने कहा कि यह ललित निबंध संग्रह अवश्य पढ़ा जाना चाहिए। कटु यथार्थवादी लेखन के घने कोहरे में यह ललित निबंध संग्रह एक चमकीली विद्युत की तरह है।

लेखिका गरिमा की लेखन शैली और विषयों की विविधता चकित करती है।

डॉ. विकास दवे ने अपने संबोधन में कहा कि लोक व भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों को सहेजते हुए अपनी विलक्षण लेखन शैली और विषयों की विविधता से लेखिका चकित करती हैं, सामान्य ऐनक जैसी वस्तु पर दर्शन का विस्तार उन्हें कुशल लेखिका बनाता है। कठिन से कठिन विषय को शालीनता से निभाना भी उनके सामर्थ्य को बताता है।

लेखक के खतरा उठाए बगैर समाज उन्नति नहीं कर सकता।

प्रकाशक पंकज सुबीर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ललित निबंध पर लिख कर लेखिका ने खतरा उठाया है। जब तक लेखक खतरा नहीं उठाएंगे तब तक समाज उन्नति नहीं करेगा।ललित निबंध के साथ लेखिका ने पूरा न्याय किया है। यह निबन्ध शत प्रतिशत ललित निबन्ध श्रेणी के हैं। यह निबन्ध नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक का काम करेंगे।

वर्तमान दौर में ललित निबंध का सृजन भी दुस्साहस है।

वरिष्ठ लेखिका ज्योति जैन ने कहा कि इन दिनों जब भाषा में लालित्य खो सा गया है, खिचड़ी भाषा और नई वाली हिन्दी के नाम पर परोसी जाने वाली ott पलेटफोर्म की भाषा जैसा फटाफट साहित्य रचा जा रहा है,
ऐसे समय में ललित निबंध की रचना का स्वप्न देखना ही एक दुस्साहस है। सनसनी फैलाने वाले लोकप्रिय साहित्य की रचना की दौड़ में लगे साहित्य के समय निर्वेद का सृजन करते साहित्य का स्वप्न देखना भी कठिन है। गरिमा ने न सिर्फ यह स्वप्न देखा बल्कि उसे पूरा भी किया।

विभिन्न विषयों पर आधारित निबंधों की चर्चा करते हुए साहित्यकारों ने इस पुस्तक को लुप्त होती ललित निबंध विधा की महत्वपूर्ण कृति बताया।

जीवन सुख का आलेख भी है।

अपने आत्मकथ्य में लेखिका गरिमा दुबे ने कहा कि “जीवन केवल दुःख का आख्यान नहीं, सुख का आलेख भी है। अति यथार्थवादी लेखन के धूसर रंग पर मैंने लालित्य के लाल, पीले, हरे, नीले रंग बिखेरने का प्रयास किया है। जीवन एकरंगी नहीं होता। वह केवल अवसाद नहीं, उत्सव भी है, वैसे ही ललित निबंध साहित्य व शब्दों का उत्सव रचते हैं। विज्ञान, अध्यात्म, प्रेम, आस्था, नारी विमर्श, ऋतुओं पर आधारित निबंध इस संग्रह में शामिल हैं ।

परिवार का प्रतिनिधित्व डॉ. दीपा मनीष व्यास ने किया व लेखिका के व्यक्तिव और कृतित्व पर प्रकाश डाला। अतिथियों का स्वागत मदनलाल दुबे, डॉ.संजय दुबे, मनीष व्यास, श्रीमती शीला दुबे ने किया, स्मृति चिन्ह, ओमप्रकाश दुबे,अशोक दुबे, डॉ. विवेका दुबे, लता तिवारी, अथर्व दुबे,तनिष्का व्यास ने भेंट किए।

स्वागत भाषण वामा अध्यक्ष श्रीमती इंदु पाराशर ने दिया। संचालन प्रीति दुबे ने किया। सरस्वती वंदना संगीता परमार ने प्रस्तुत की। आभार सचिव शोभा प्रजापति ने माना। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में इंदौर शहर के प्रबुद्ध साहित्यकार व पत्रकार मौजूद थे ।

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