(प्रमोद दीक्षित)
इंदौर : गरीबी क्या होती है और गरीब होने का क्या मतलब होता है अगर यह देखना है तो इन दिनों कुछ समय निकालकर सुबह या शाम इंदौर बायपास पर चले जाइए। यहां जाने के बाद आपको जो दृश्य दिखाई देंगे वह इतने मार्मिक होंगे कि आपका दिल पसीज जाएगा कि आखिर जो सरकार गरीबों के लिए इतनी बड़ी बड़ी योजनाएं बनाती है। हकीकत में भारत में गरीबों की स्थिति आज भी क्या है यह यहां साक्षात दिखाई दे रहा है कोरोना संक्रमण के चलते यहां ऐसे दृश्य दिखाई दे रहे हैं जैसे किसी देश का विभाजन हो रहा हो। यहां से गुजरने वाले पैदल साइकल यात्री, टैक्सी यात्री, कार यात्री, ट्रकों में सवार हजारों लोगों की बस एक ही इच्छा है कि वह किसी भी तरह से अपने गांव देश वापस पहुंच जाएं। कोरोना महामारी के संक्रमण से बेख़ौफ़ अब इनका बड़े शहरों से मोहभंग हो चुका है । कई लोगों ने कहा कि वह अपने परिवार की जीवन की गाड़ी चलाने के लिए मुंबई पुणे नासिक अहमदाबाद आदि शहरों में आए थे लेकिन अब यहां उनका जीवन दूभर हो रहा है। सरकारों की ओर से कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण जो भी साधन मिला उससे अपने वतन की ओर चल पड़े। कई लोगों के साथ तो छोटे छोटे नन्हे दूधमुहे बच्चे भी हैं जिन्होंने अभी ठीक तरह से दुनिया नहीं देखी थी और उन्हें यह जलालत भरी जिंदगी झेलनी पड़ रही है। हलांकि इस मामले में देवी अहिल्या की नगरी इंदौर ने अपनी दिलदारी दिखाई और इनकी सहायता के लिए हांथ आगे बढ़ाए। देखते ही देखते दो-चार दिनों के अंदर पूरे बाईपास पर सहायता के स्टॉल्स सज गए । इन सेवाभावी लोगों ने इन गरीबों के लिए क्या कुछ नहीं किया। क्या तरबूज खिचड़ी पोहे जलेबी रोटी सब्जी यहां तक कि पैदल चलने वालों को जूते चप्पल तक यह लोग मुहैया करा रहे हैं। यही नहीं इनकी कोशिश यह भी है कि कोई पैदल ना चले। इसके लिए गाड़ियां रोक रोक कर चालकों से विनती कर इन्हें गाड़ियों में बैठाया भी जा रहा है। हलांकि इन्हें भी कोरोना संक्रमण का उतना ही खतरा है लेकिन सेवा भाव के यह डर कुछ भी नहीं है। जो काम सरकार को करना चाहिए वह यह सेवाभावी लोग कर रहे हैं।
(लेखक इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)