गीता भवन में बुधवार सुबह मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती महोत्सव का मुख्य महापर्व – सामूहिक गीता पाठ होगा।
जगदगुरू शंकराचार्य एवं मानस मंदाकिनी भी गीता भवन आएंगे।
इंदौर : संसार समस्या है और गीता समाधान। मनुष्य जीवन को परिपूर्णता प्रदान करती है गीता। हमारी आसक्ति यदि सत्ता, सती और सौंदर्य में रहेगी तो कभी सुख नहीं मिल पाएगा, लेकिन यदि हमने अपने कर्मों का समर्पण परमात्मा में कर दिया तो कभी दु:ख की अनुभूति नहीं होगी। गीता हमको किसी कर्म करने से नहीं रोकती, लेकिन यदि उन कर्मों का क्रियान्वयन हम परमात्मा को याद करते हुए करेंगे तो हमारा हर कर्म सार्थक हो जाएगा। दुनिया का ऐसा कोई ताला नहीं, जो गीता रूपी चाबी से नहीं खुलता हो। गीता जीवन की समस्याओं की मास्टर-की है। गीता ने मनुष्य जीवन को कृतार्थ ही किया है, वह भी बिना किसी भेदभाव के। मानव मात्र के लिए गीता एक ऐसा दिव्य ग्रंथ है, जो सदियों से हम सबका मार्गदर्शन करते आ रहा है और आगे भी करता रहेगा।
ये दिव्य विचार हैं अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य, जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज के, जो उन्होंने मंगलवार को गीता भवन में 67वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव में व्यक्त किए। सत्संग सत्र का शुभारंभ गोंडा (उ.प्र.) से आए पं. प्रहलाद मिश्र रामायणी के प्रवचनों के साथ हुआ। वृंदावन से आए स्वामी केशवाचार्य, ऋषिकेश से आए परमार्थ निकेतन के स्वामी शंकर चैतन्य महाराज, हरिद्वार से आए सतपाल महाराज के शिष्य स्वामी वर्धमानानंद, भीकनगांव के पं. पीयूष महाराज, वेदांत आश्रम इंदौर के स्वामी आत्मानंद सरस्वती, हरिद्वार से आए डॉ. श्रवण मुनि उदासीन, गोधरा गुजरात से आई साध्वी परमानंदा सरस्वती एवं महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने भी अपने प्रवचनों में गीता, भागवत एवं भारतीय संस्कृति से जुड़े धर्मग्रंथों की महत्ता बताई।
प्रारंभ में गीता भवन ट्रस्ट की ओर से अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी, कोषाध्यक्ष मनोहर बाहेती, न्यासी मंडल के टीकमचंद गर्ग, प्रेमचंद गोयल, पं. महेशचंद्र शास्त्री, दिनेश मित्तल, हरीश माहेश्वरी, राजेश गर्ग केटी, संजीव कोहली, पवन सिंघानिया, सत्संग समिति के श्याम मोमबत्ती, जे.पी. फड़िया, सुभाष झंवर, अरविंद नागपाल, रामकिशोर राठी, चंदू गुप्ता, प्रदीप अग्रवाल, अर्चना ऐरन आदि ने सभी संतों एवं अतिथियों का स्वागत किया। मंच का संचालन गोंडा से आए पं. प्रहलाद मिश्र रामायणी ने किया।
बुधवार को मनेगा गीता जयंती का मुख्य पर्व।
गीता जयंती महोत्सव में चौथे दिन 11 दिसम्बर को मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती का मुख्य महापर्व मनाया जाएगा। इसकी शुरूआत सुबह 6 से 7 बजे तक भगवान श्री गणेश के सहस्त्रार्चन एवं 7 से 8 बजे तक भगवान शालीग्राम के श्री विग्रह पर विष्णु सहस्त्रनाम से सामूहिक पूजन-अभिषेक, कथा एवं आरती के साथ होगा। इसके बाद प्रातः 8 बजे से देशभर से आए संत और भक्त मिलकर गीता के 18 अध्यायों का सामूहिक पाठ करेंगे। देश में गीता भवन ही एकमात्र धर्मस्थल है, जहां पिछले 66 वर्षों से लगातार संत और भक्त एक जाजम पर बैठकर गीताजी का सामूहिक पाठ करते आ रहे हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु गीताभवन आकर दान-पुण्य का भी लाभ उठाते हैं। सुबह गीता पाठ के बाद 10.15 बजे से जोधपुर से आए स्वामी हरिराम शास्त्री रामस्नेही के प्रवचन होंगे। 11 से 1 बजे तक मध्यान्ह विश्राम के बाद दोपहर 1 बजे से पं. प्रहलाद मिश्र गोंडा (उ.प्र.), डॉ.श्रवणमुनि हरिद्वार, साध्वी ब्रह्मज्योति पानीपत के प्रवचनों के बाद 2.15 से 3 बजे तक गोवर्धननाथ मंदिर इंदौर के गोस्वामी दिव्येश कुमार, 3 बजे से नेमिषारण्य से आए स्वामी पुरुषोत्तमानंद, 3.30 बजे साध्वी परमानंदा सरस्वती और 4 बजे अयोध्या से आई मानस मार्मज्ञ युग तुलसी श्रीराम किंकर की सुशिष्या मानस मंदाकिनी एवं शाम 05 बजे से पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के प्रवचनों के बाद जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज के आशीर्वचन होंगे। सांय 7 बजे से भजन गायक विवेक मेहता की भजन संध्या भी होगी।