महामंडलेश्वर का किया गया सम्मान।
इंदौर : सात दिनों तक हम तो कथा में बैठ लिए, अब इस कथा को भी अपने अंदर बिठाने की जरूरत है। भागवत कथा मृत को एक कान से सुनकर दूसरे से बाहर निकालने से काम नहीं चलेगा। धर्मयुक्त जीवन और सदाचार से ही सुमति का प्रवेश संभव है। भागवत वह अनुपम और विलक्षण ग्रंथ है, जिस पर अनेक शोध ग्रंथ लिखे जा चुके हैं, इसके बावजूद आज तक कोई भी इस दिव्य और अनुपम ग्रंथ की थाह नहीं ले पाया है। भागवत जैसे भगवान की अमृतवाणी से निकले इस ग्रंथ से हम अपनी नई पीढ़ी को भी संस्कारित बनाएं और स्वयं भी जीवन को संवारने के इन अनमोल रत्नों को आत्मसात करें तो हमारा यह कथा श्रवण और अधिक सार्थक हो जाएगा।
श्रीधाम वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने रविवार को गीता भवन में गोयल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ के समापन समारोह में उपस्थित भक्तों के सैलाब को संबोधित करते हुए उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। कथा के समापन पर गीता भवन में फूलों की होली का रंगारंग उत्सव भी मनाया गया। उत्सव के लिए कथा स्थल को विशेष रूप से श्रृंगारित किया गया था। कथा के दौरान महामंडलेश्वरजी ने कृष्ण-सुदामा मैत्री का भी भावपूर्ण चित्रण किया। कथा समापन पर गीता भवन परिसर में भागवतजी की शोभायात्रा भी निकाली गई।
महामंडलेश्वरजी ने कृष्ण – सुदामा मित्रता प्रसंग का भावपूर्ण चित्रण करते हुए कहा कि कलयुग में कृष्ण जैसे दोस्त नहीं मिलते। अब दोस्ती की परिभाषा को नए सिरे से परिभाषित करना होगा। कृष्ण और सुदामा की मित्रता राजा और प्रजा के मिलन जैसी है। जिस दिन हमारे शासक भी अपने महलों के दरवाजे गरीब सुदामा जैसे मित्रों के लिए खोल देंगे, हमारा प्रजातंत्र और दोस्ती के रिश्ते भी सार्थक हो जाएंगे। इस अवसर पर आयोजन समिति की ओर से महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद एवं साध्वी कृष्णानंद का गरिमापूर्ण सम्मान भी किया गया। कार्यक्रम में शहर के अनेक प्रमुख गणमान्य नागरिक एवं समाजसेवी बंधु उपस्थित थे। वरिष्ठ समाजसेवी विनोद अग्रवाल, प्रेमचंद गोयल, विजय गोयल, पत्रकार राजेश चेलावत ने भी राधा-कृष्ण के संग फूलों की होली खेली।