इंदौर: शहर के चिकित्सक सिर्फ मरीजों के इलाज में ही दक्ष नहीं हैं, अन्य विधाओं में भी भी खासा दखल रखते हैं। खासकर गीत – संगीत के क्षेत्र में तो कई डॉक्टर्स रचे – बसें हैं। ऐसे ही डॉक्टरों की संस्था है ‘ स्पंदन डॉक्टर्स कल्चरल ग्रुप’। शौकिया तौर पर गाने वाले कई डॉक्टर्स इस ग्रुप से जुड़े हैं। यह संस्था समय – समय पर गीत – संगीत की महफिलें सजाकर इन डॉक्टर्स को मंच से अपनी प्रस्तुतियां देने का अवसर प्रदान करती है। इसी कड़ी में मस्ती भरे और कर्णप्रीय गीतों से सजा कार्यक्रम विजयादशमी के दूसरे दिन रवींद्र नाट्यगृह में आयोजित किया गया। यह स्पंदन ग्रुप का 140 वा कार्यक्रम था। यह कार्यक्रम इस मायने में अनूठा रहा की गीतों के जरिए ही सवाल किए गए और जवाब भी गीतों से ही दिया गया। इसी के साथ गीतों से जुड़े सवाल श्रोताओं से पूछे गए और सही उत्तर देने वाले श्रोताओं को पुरस्कृत भी किया गया।
कार्यक्रम में तू कहां ये बता, इस नशीली रात में, छुप गए सारे नजारे, इशारों – इशारों में दिल लेने वाले, क्या करूं सजनी आए न बालम, ये क्या हुआ – कैसे हुआ – कब हुआ, हाल कैसा है जनाब का, जाता कहां है दीवाने, जरा सा झूम लूं मैं, कुहू – कुहू बोले पायलिया, मेरे ख्वाबों में जो आए, राधा कैसे न जले, जाने जा ढूंढता फिर रहा सहित कुल 28 एकल व युगल गीत पेश किए गए। कुछ मेलोडियस और मस्ती भरे गीतों ने तो श्रोताओं को अपने कदम थिरकाने पर मजबूर कर दिया। इस सुरीले कार्यक्रम का समापन अच्छा तो हम चलते हैं गीत से हुआ। जिन डॉक्टरों ने इन गीतों को पेश किया उनमें डॉ. राजेंद्र चौबे, डॉ. मनोज भटनागर, डॉ. पिनाक भटनागर, डॉ. निकिता भटनागर, डॉ. मून जैन, डॉ. अतुल भट्ट, डॉ. हेमंत मंडोवरा, डॉ. रुचि शाह, डॉ. प्रमोद नीमा, डॉ. शैलेक्षी वर्मा और डॉ. अनुराग श्रीवास्तव शामिल थे। कार्यक्रम का सधा हुआ और प्रभावी संचालन डॉ. संजय लौंढे ने किया। संगीत संयोजन कपिल राठौर, अभिजीत गौड़ व उनकी टीम का था।