एबी रोड पर भी इंदौर से धामनोद के बीच वाहनों का आवागमन रोका गया।
इंदौर : धार – धामनोद मार्ग पर गुजरी के भारुडपूरा से निचले ग्राम कोठिडा में कारम नदी पर बने बांध से पानी का लगातार रिसाव होने से बांध के टूटने का खतरा बढ़ गया है। अगर ऐसा हुआ तो आसपास के कई गांव डूब में आ जाएंगे और भारी तबाही मच सकती है। इस आशंका के चलते धार जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। डूब की आशंका में करीब 11 गांव खाली करवाए जा रहे हैं। ग्रामीणों को घरों से निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। लोगों का आरोप है कि तीन माह पूर्व निर्मित इस बांध के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ है, इसीलिए पहली बारिश भी यह बांध नहीं झेल पाया।
एबी रोड पर भी रोका वाहनों का आवागमन।
इंदौर – मुंबई नेशनल हाइवे पर भी इंदौर – धामनोद के बीच वाहनों का आवागमन रोक दिया गया है। इससे वाहनों की लंबी कतारें मार्ग के दोनों ओर लग गई हैं। उन्हें वैकल्पिक मार्गों की ओर मोड़ा जा रहा है। महेश्वर से धामनोद, बड़वी मार्ग भी बंद कर दिया गया है।
ये गांव कराए जा रहे खाली।
जिन गांवों को डूब के खतरे के चलते खाली कराया जा रहा है, उनमें गुजरी, काकड़दा, मक्सी, मेलखेड़ी, गड़ी, कांकरिया, नयापुरा, बड़वी, खराड़ी आदि गांव शामिल हैं। इन गांवों के निचले हिस्सों को, जहां बांध का पानी पहुंच सकता है, को खाली कराने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
रिसाव रोकने के किए जा रहे प्रयास।
बताया जाता है कि कारम नदी पर कोठिड़ा में बने बांध में रिसाव गुरुवार रात से ही शुरू हो गया था। प्रारंभिक तौर पर रिसाव रोकने के प्रयास किए गए लेकिन सफलता नहीं मिली। रिसाव बढ़ने लगा तो धार जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा। जिला व पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। रिसाव रोकने के प्रयास युद्धस्तर पर किए जा रहे हैं। इंदौर से तकनीकि विशेषज्ञों को बुलाया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट भी बांध स्थल पर गए हैं। उनकी निगरानी में जल संसाधन, पीडब्ल्यूडी और अन्य विभागों का अमला, जिला प्रशासन के साथ रिसाव रोकने में जुटा है। आपदा की स्थिति में राहत व बचाव कार्य के लिए एसडीईआरएफ की टीम को भी तैनात कर दिया गया है।
तीन माह पहले की थी बांध निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बांध के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। बांध के निर्माण पर 304 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, बावजूद इसके पहली बारिश भी यह बांध नहीं झेल पाया। उन्होंने तीन माह पहले ही बांध निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार तक से की थी पर कोई सुनवाई नहीं हुई। इसी का नतीजा है कि बांध टूटने की कगार पर है और कई गांवों के डूबने का खतरा पैदा हो गया है।