अखंड धाम पर चल रहे 57वें अ.भा. संत सम्मेलन के समापन पर हजारों दीपों से हुई महाआरती,
ब्रह्मलीन अखंडानंदजी को दी ग ई पुष्पांजलि
इंदौर : कोई भी सेवा प्रकल्प चरित्र, आचरण और त्याग का अभिनंदन किए बिना सार्थक नहीं हो सकता। गुरू भले ही दो अक्षरों का छोटा सा शब्द हो, लेकिन इन दो शब्दों में हमारे सम्पूर्ण जीवन की धन्यता समाहित है। गुरू के बिना जिनका जीवन शुरू होता है, वे लक्ष्य तक पहुंचने के पहले ही भटक जाते हैं। गुरू हमारे जीवन के भटकाव को दूर करते हैं। इतिहास उन्हीं को याद रखता है, जो त्याग करना जानते हैं। हमारा समाज नैतिक मूल्यों के मामले में पतन की ओर बढ़ रहा है। सनातन धर्म की मजबूती के लिए हमारे समाज को संगठित होकर आगे आना होगा। वेदांत का दर्शन और मंथन जीवन को सही मार्ग पर आगे बढ़ाने का काम करता है।
जगदगुरू शंकराचार्य, भानपुरा पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ ने बिजासन रोड स्थित अविनाशी अखंड धाम आश्रम पर चल रहे 57वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन में आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी अखंडानंद महाराज की 57वीं पुण्यतिथि पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए ये प्रेरक विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अखंड धाम के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी अखंडानंद महाराज ने जंगलों में नंगे पैर और नंगे बदन रहकर, बेजड़ की सूखी रोटियां खाकर पूरे देश-दुनिया में शिवोहम का डंका बजाया है। इसके पीछे उनके जप, तप और त्याग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। व्यक्ति भले ही चला जाता है, लेकिन उसके सद्कर्मों की सुगंध समूचे राष्ट्र एवं समाज को सुरभित बनाए रखती है। अखंडानंदजी ऐसे ही बिरले संत थे।
घर-घर से लाए गए दीप और पूजा की थालियां।
अखंडानंद महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर हजारों श्रद्धालु, विशेषकर महिलाएं अपने-अपने घरों से दीपकों की थाली और फूलों से श्रृंगारित आरती सजाकर लाई थी। शंकराचार्यजी के सान्निध्य में जैसे ही महाआरती शुरू हुई, अखंड धाम परिसर में मौजूद श्रद्धालुओं की आस्था-श्रद्धा देखने लायक थी। इसके पूर्व संत सम्मेलन में महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. चेतन स्वरूप, वृंदावन से आए महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश्वरानंद, हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरपानंद सरस्वती, चौबारा जागीर से आए स्वामी नारायणानंद, संत राजानंद एवं अन्य संतों ने स्वामी अखंडानंद से जुड़े प्रेरक संस्मरण सुनाए। आरती में श्रीराम मंदिर पंचकुइया के महामंडलेश्वर स्वामी रामगोपाल दास सहित अनेक संत-महंत और विद्वान मौजूद थे।
संतों का स्वागत।
अतिथि संतों का स्वागत आश्रम परिवार की ओर से वरिष्ठ समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, मन्नूलाल गर्ग (देवास), अध्यक्ष हरि अग्रवाल, संयोजक किशोर गोयल, सचिव भावेश दवे, अशोक गोयल, सचिन सांखला, राजेन्द्र सोनी, ठा. विजयसिंह परिहार, दीपक चाचर, रणधीर दग्धी, दिग्विजय सांखला, परीक्षित पंवार, पलकेश कछवाहा, मनीष अग्रवाल, महेन्द्र विजयवर्गीय, डॉ. हरिनारायण विजयवर्गीय, राजेन्द्र गर्ग, सूरजसिंह राठौर, डॉ.चेतन सेठिया, दिनेश जिंदल, राजेन्द्रसिंह जादौन, शंकरलाल वर्मा आदि ने किया। महिला मंडल की ओर से किरण ओझा ने गुरूवंदना प्रस्तुत की। श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव, पुष्पा यादव, वर्षा जैन, सोनल बियाणी, राजकुमारी मिश्रा एवं श्रद्धा सुमन सेवा समिति, छत्रीबाग जन सेवा समिति, अखंड युवा मंडल, सांखला कालोनी रहवासी संघ की ओर से भी संतों पर पुष्पवर्षा की गई।
आश्रम से जुड़े सहयोगियों का पुण्य स्मरण, सहयोग देने वालों का आभार।
समापन प्रसंग पर आश्रम से जुड़े अ.भा. प्रचार मंत्री स्व. मोहनलाल सोनी को श्रद्धांजलि देते हुए संतों ने उनके सहयोग का उल्लेख किया। आश्रम से जुड़े अन्य भक्तों में चमेलीदेवी मन्नालाल गोयल, वैद्य रामचंद्र शर्मा (अखंड औषधि), लक्ष्मीदेवी खंडेलवाल (दिल्ली), मनोहरलाल वर्मा एवं अन्य सहयोगी बंधुओं को भी याद किया गया। संचालन स्वामी नारायणानंद एवं अध्यक्ष हरि अग्रवाल ने किया। उन्होंने सात दिवसीय संत सम्मेलन में सहयोग देने वाले सभी संतों, भक्तों, मीडिया, प्रशासन, पुलिस, दानदाता एवं कार्यकर्ता बंधुओं का आभार व्यक्त किया।