इंदौर – मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने और मनमाने बिल वसूलने का खामियाजा अंततः गोकुलदास अस्पताल प्रबन्धन को भुगतना पड़ा।कलेक्टर मनीष सिंह ने गोकुलदास अस्पताल का लाइसेंस अस्थाई रुप से रद्द कर दिया है।सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जड़िया ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि यह अस्पताल कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए अधिकृत किया गया था। अब आगामी आदेश तक अस्पताल नए मरीज भर्ती नहीं कर पाएगा। डॉ. जड़िया ने बताया कि अस्पताल में कुल 13 मरीज भर्ती हैं। आईसीयू में एक और 12 मरीज जनरल वार्ड में।इन्हें भी अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया जा रहा है।
एक ही दिन में 6 मौतों के बाद जागा प्रशासन।
बताया जाता है कि गोकुलदास अस्पताल में मरीजों के इलाज में भारी लापरवाही बरती जा रही थी। बीते 24 घंटों में 6 मरीजों की मौत की सूचना मिलने के बाद सांसद शंकर लालवानी ने कलेक्टर और सीएमएचओ को मामले की जांच का आग्रह किया था। नींद से जागे प्रशासन ने तत्काल एसडीएम और सीएमएचओ डॉ. जड़िया की अगुवाई में एक दल गोकुलदास अस्पताल भेजा। प्रारम्भिक जांच के बाद दल ने अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी। कलेक्टर मनीष सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए गोकुलदास अस्पताल का लाइसेंस अस्थायी रूप से निरस्त कर दिया।
अस्पताल के खिलाफ मिल रहीं थीं लगातार शिकायतें।
सीएमएचओ डॉ. जड़िया ने माना की गोकुलदास अस्पताल के ख़िलाफ़ लगातार शिकायतें मिल रहीं थीं। मंदसौर की एक महिला को आईसीयू में बेड खाली होने के बाद भी अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया गया था।बाद में उस महिला की मौत हो गई थी।इसके अलावा एक अन्य महिला का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें उसके ससुर की रिपोर्ट अस्पताल प्रबंधन ने 8 दिन तक दबाकर रखी और हजारों रुपए वसूल लिए थे। ऐसी कई शिकायतें मिलने के बाद प्रशासन ने गोकुलदास अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की।