छगन भुजबल सहित अजित पंवार समर्थक 9 विधायकों ने भी ली मंत्री पद की शपथ।
40 एनसीपी विधायकों के समर्थन का भी किया दावा।
पार्टी के चुनाव चिन्ह पर भी जताया हक।
शिवसेना के बाद एनसीपी को भी तोड़ने में कामयाब हुई बीजेपी।
मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत में जिस बात की आशंका जताई जा रही थी, वह सच साबित हुई। शिवसेना के बाद बीजेपी ने एनसीपी में भी सेंध लगा दी। शरद पंवार के भतीजे अजित पंवार ने अपने समर्थक विधायकों सहित बगावत करते हुए अलग गुट बना लिया है। छगन भुजबल, प्रफुल्ल पटेल और धनंजय मुंडे जैसे बड़े नेता भी शरद पंवार का साथ छोड़ गए। बात यहीं तक सीमित नहीं रही। एनसीपी के अपने समर्थक विधायकों को साथ अजित पंवार ने महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर ली। उनके साथ 9 एनसीपी विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली।
40 विधायकों के समर्थन का किया दावा।
उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद प्रेस वार्ता करते हुए अजित पंवार ने दावा किया कि उनके साथ एनसीपी के 40 विधायक हैं। यही नहीं उन्होंने एनसीपी संगठन भी अपना दावा करते हुए कहा कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव वे एनसीपी के चुनाव चिन्ह पर ही लडेंगे। उनका कहना था कि महाराष्ट्र और देश के विकास के लिए उन्होंने शिवसेना शिंदे गुट और बीजेपी सरकार का हिस्सा बनना स्वीकार किया। उन्होंने पीएम मोदी के नेतृत्व की भी सराहना की। उन्होंने दावा किया कि एनसीपी के सभी विधायकों ने सरकार में शामिल होने के उनके फैसले का समर्थन किया है।
सुप्रिया सुले को तवज्जो देने से थे नाराज।
सूत्रों के मुताबिक अजित पंवार, सुप्रिया सुले को पार्टी में ज्यादा तवज्जो देने से नाराज थे। शरद पंवार ने सुप्रिया सुले को पार्टी का वर्किंग प्रेसीडेंट बनाया। फिर अजित पवार ने संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मांगी तो उसे शरद पवार ने नजरअंदाज कर दिया। इसी वजह से नाराज होकर अजित पवार ने बगावत फैसला लिया, हालांकि बीजेपी लंबे समय से अजित पंवार को अपने साथ लाकर एनसीपी में विभाजन का प्रयास कर रही थी। पहले भी बीजेपी इसका प्रयास कर चुकी थी पर सफलता नहीं मिल पाई थी। इस बार चाचा शरद पंवार से भतीजे अजित पंवार की नाराजगी का बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया और अंततः अजित पंवार को अपने साथ लाकर शरद पंवार को तगड़ा झटका दे दिया।