चार दिवसीय छठ पूजा का आयोजन 28 अक्टूबर से

  
Last Updated:  October 26, 2022 " 08:55 pm"

शहर के 80 से अधिक घाटों पर होगा छठ महापर्व का आयोजन।

छठ पूजा आयोजन समितियों द्वारा छठ घाटों की सफाई जारी।

इंदौर: सूर्य आराधना के पर्व – चार दिवसीय छठ महोत्सव की शुरुआत 28 अक्टूबर (शुक्रवार) को नहाय खाय से होगी। इस दिन छठ व्रतियों एवं उनके परिजनों द्वारा द्वारा घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाएगा। उसके पश्चात छठव्रती स्नान कर शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करेंगी। व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करेंगे। छठ महापर्व के दूसरे दिन 29 अक्टूबर (शनिवार) को खरना का आयोजन होगा, जिसके अंतर्गत सुबह व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखेंगे। इसी दिन संध्याकाल व्रतियों द्वारा गुड़ से बनी खीर एवं गेहूं की रोटी के प्रसाद का भोग लगाया जाएगा। इस प्रसाद को ग्रहण करने के पश्चात शुरू होगा छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जल उपवास। खरना के अगले दिन छठ व्रतियों के घरों में भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाएगा।

छठ महापर्व के तीसरे दिन 30 अक्टूबर (रविवार) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को व्रती महिलाएं एवं पुरुष अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य देंगे। छठ महापर्व का समापन 31 अक्टूबर (सोमवार) को श्रद्धालुओं द्वारा उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा।

शहर के 80 से अधिक घाटों पर होगा छठ पर्व का आयोजन।

कोरोना महामारी के चलते दो साल के पश्चात इस वर्ष शहर भर में छठ महापर्व का आयोजन वृहद् रूप से बिना किसी प्रतिबन्ध के आयोजित किया जा रहा है, जिसके कारण शहर के पूर्वांचल के निवासियों में विशेष उत्साह है। पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान मध्यप्रदेश की अगुवाई में इस वर्ष पुरे शहर में 7 दर्जन से अधिक स्थानों पर छठ महापर्व का आयोजन किया जा रहा है। छठ आयोजन समितियों द्वारा दिवाली के पश्चात से छठ घाटों की सफाई शुरू कर दी गयी है। इस कार्य में इंदौर नगर निगम के पार्षदों एवं अधिकारियों का भी सहयोग लिया जा रहा है।

बता दें कि शहर एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष स्कीम नं. 54, 78, बाणगंगा, सुखलिया, श्याम नगर, तुलसी नगर, पिपलियाहाना तालाब, कैट रोड, कालानी नगर , एरोड्रम रोड, सिलिकॉन सिटी, देवास नाका, निपानिया,राऊ, पीथमपुर सहित 80 से अधिक स्थानों पर छठ पूजा आयोजन होता है। जहाँ शहर में रह रहे पूर्वांचल – विशेष रूप से बिहार, झारखण्ड एवं उत्तर प्रदेश के श्रद्धालुगण डूबते एवं उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

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