भोपाल : पूर्व सीएम और बीजेपी के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर का बुधवार दोपहर सुभाष नगर स्थित विश्राम घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। पोते आकाश गौर ने स्व. गौर की पार्थिव देह को मुखाग्नि दी। पूर्व सीएम शिवराज सिंह, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, विश्वास सारंग, कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस- बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता इस दौरान मौजूद रहे। राज्यपाल लालजी टण्डन ने भी विश्राम घाट पहुंचकर स्व. गौर को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके पूर्व बुधवार सुबह प्रदेश के सीएम कमलनाथ स्व. गौर के निवास पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। सीएम ने गौर के परिजनों से मिलकर उन्हें ढाढस बंधाया। स्व. गौर की पार्थिव देह बीजेपी कार्यालय में भी रखी गई जहां पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।
आपको बता दें कि बाबूलाल गौर 89 वर्ष के थे। वे कई दिनों से बीमार थे। कुछ दिनों से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। पिछले माह उनकी एंजियोप्लास्टी भी की गई थी पर तबियत में सुधार नहीं आया।
मजदूर से मुख्यमंत्री तक का तय किया सफर।
बाबूलाल गौर का जन्म 2 जून 1930 को यूपी के प्रतापगढ़ में हुआ था। भोपाल की पुट्ठा मिल में मजदूरी करते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। बाद में बीएचईएल में नौकरी करते हुए वे श्रमिक आंदोलन से जुड़ गए। भारतीय मजदूर संघ के वे संस्थापक सदस्य रहे। आरएसएस की शाखाओं में भी वे नियमित रूप से जाते थे। 1974 में भोपाल की गोविंदपुरा सीट से उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और विजयी हुए। यहीं से उनके राजनीतिक सफर का आगाज हुआ। बाद में बीजेपी के टिकट पर वे लगातार 9 बार यहां से चुनाव जीते। 1990 से 1992 के बीच पटवा सरकार में वे शहरी आवास, नगरीय कल्याण, स्थानीय शासन, गैस त्रासदी राहत, संसदीय कार्य, जनसंपर्क आदि विभागों के मंत्री रहे। अतिक्रमण हटाने के मामले में सख्त रवैया अपनाने के चलते उन्हें बुलडोजर मंत्री भी कहा जाता था। 1999 से 2003 तक दिग्विजयसिंह के सीएम रहते बाबूलाल गौर ने नेता प्रतिपक्ष की भूमिका असरदार ढंग से निभाई। अगस्त 2004 से नवंबर 2005 तक वे मप्र के सीएम रहे। इंदौर व भोपाल में मेट्रो लाने का सपना सबसे पहले उन्होंने ही देखा था और उस दिशा में उन्होंने कदम भी उठाए थे। शिवराज सरकार में भी वे केबिनेट मंत्री रहे। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उम्रदराज होने का हवाला देकर उनकी जगह बहु कृष्णा गौर को टिकट दिया था। वे जीती भीं।
बेबाक बयानों के लिए थे चर्चित।
बाबूलाल गौर अपने बेबाक और निर्भीक बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते थे। कई बार उनके बयान पार्टी लाइन से हटकर होते थे, पर उन्होंने वही कहा जो उन्हें ठीक लगा। विरोधी दलों के नेताओं से भी निजी तौर पर उनके रिश्ते काफी अच्छे थे।