इंदौर: आखिर लम्बी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस ने इंदौर से पंकज संघवी को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। मंत्री जीतू पटवारी ने टिकट को लेकर जमकर लॉबिंग की। उनका नाम लगभग तय भी हो गया था पर सीएम कमलनाथ ने पेंच फंसा दिया। वे नहीं चाहते थे कि एक भी विधायक कम हो और उनकी सरकार पर खतरा मंडराने लगे। इसी के चलते जीतू पटवारी दौड़ से बाहर हो गए। उन्होंने लड्डू बांटने की तैयारी कर रखी थी वो भी धरी रह गई। पार्टी ने अंततः पंकज संघवी के नाम पर मुहर लगा दी।
सिंधिया को लड़ाना चाहते थे कमलनाथ।
भोपाल से दिग्विजय सिंह को चुनाव मैदान में उतारने के बाद कमलनाथ इंदौर से ज्योतिरादित्य सिंधिया को लड़वाना चाहते थे पर सिंधिया उनके झांसे में नहीं आए। यही नहीं सीएम कमलनाथ ने अभिनेता गोविंदा पर भी इंदौर से चुनाव लड़ने का दबाव बनाया था पर बात नहीं बनी। आखिर में संघवी के अलावा कोई और नाम कांग्रेस के पास नहीं रह गया था।
तीन चुनाव हार चुके हैं संघवी।
पंकज संघवी 1983 में पहली बार पार्षद का चुनाव बीजेपी के टिकट पर जीते थे। बाद में वो कांग्रेस में शामिल हो गए। 1998 में उन्हें कांग्रेस ने सुमित्रा महाजन के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ाया। दमखम से लड़ने के बावजूद वे करीब 50 हजार वोटों से सुमित्रा ताई से हार गए। 2009 में पंकज संघवी कांग्रेस से महापौर का चुनाव लड़े पर बीजेपी के कृष्णमुरारी मोघे से 4 हजार से अधिक वोटों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2013 में संघवी इंदौर-5 से विधानसभा का चुनाव भी लड़े पर बीजेपी के महेंद्र हार्डिया ने उन्हें 12 हजार 500 मतों से हरा दिया था।
अब पुनः वे लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं।अब उनके सामने बीजेपी किसको अपना उम्मीदवार बनाती है ये देखनेवाली बात होगी।