समय रहते लक्षण पहचानकर लें विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह : डॉ. मोनिका ।
गुलियन बेरी सिंड्रोम के हाल ही में सैकड़ों मामले पुणे – महाराष्ट्र, बंगाल और अन्य राज्यों में सामने आए, इनमें कई मरीज गंभीर हालत में पहुंच गए थे। कुछ की तो इस बीमारी की वजह से जान भी चली गई। आखिर क्या है जीबी सिंड्रोम..? (गुलियन बेरी सिंड्रोम), यह कैसे होती है..?इसके लक्षण व कारण क्या होते हैं..? इस बीमारी का क्या उपचार है..? मन में उमड़ – घुमड़ रहे ऐसे कई सवालों के जवाब जानने के लिए हमने एमजीएम मेडिकल कॉलेज की प्राध्यापक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मोनिका पोरवाल बागुल से चर्चा की। डॉ. मोनिका ने बताया कि जीबी सिंड्रोम (गुलियन बेरी सिंड्रोम) एक दुर्लभ और गंभीर तंत्रिका संबंधी बीमारी है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा तंत्रिका तंत्र पर हमला करने के कारण होती है। यह बीमारी आमतौर पर किसी संक्रमण से पनपती है, जैसे फूड पॉइज़निंग या रेस्पिरेटरी संक्रमण आदि।
डॉ. मोनिका ने बताया कि जीबी सिंड्रोम के लक्षण आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह में विकसित होते हैं। प्राथमिक स्तर पर इसकी पहचान कर ली जाए तो समुचित इलाज के जरिए मरीज ठीक हो जाता है।
जीबी सिंड्रोम के ये हैं लक्षण:-
मांसपेशियों की कमजोरी :- पैरों और हाथों में मांसपेशियों में कमजोरी आना, जो धीरे-धीरे बढ़ती है।
सुन्नता और झुनझुनी :- पैरों और हाथों में सुन्नता और झुनझुनी आना।
संतुलन और समन्वय की समस्या :- संतुलन और समन्वय की समस्या जिससे व्यक्ति को चलने और खड़े होने में परेशानी आती है।
सांस लेने में परेशानी : जीबी सिंड्रोम में मरीज को सांस लेने में परेशानी आती है जो गंभीर रूप भी धारण कर सकती है।
दृश्य और श्रवण संबंधी परेशानी :- जीबी सिंड्रोम का अटैक होने पर देखने और सुनने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। आंखों की रोशनी कम हो सकती है और कानों से सुनाई देना भी कम हो सकता है।
जीबी सिंड्रोम के संभावित कारण :-
जीबी सिंड्रोम के कारण अभी तक पूरी तरह से समझे नहीं गए हैं, लेकिन माना जाता है कि यह बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण के बाद विकसित होता है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ही तंत्रिका तंत्र पर हमला करना शुरू कर देती है।
ये है जीबी सिंड्रोम के उपचार के तरीके :-
डॉ. मोनिका पोरवाल बागुल ने बताया कि जीबी सिंड्रोम का समय रहते पता लगने पर उसका उपचार किया जा सकता है। निजी अस्पतालों में यह महंगा होता है पर एमवायएच जैसे सरकारी अस्पतालों में इसका इलाज बहुत कम खर्च में हो जाता है।
प्लाज्मा एक्सचेंज : प्लाज्मा एक्सचेंज एक प्रक्रिया है जिसमें रक्त को निकालकर प्लाज्मा को बदल दिया जाता है ताकि प्रतिरक्षा प्रणाली को शांत किया जा सके।
इम्यूनोग्लोबुलिन :- इम्यूनोग्लोबुलिन एक प्रकार का प्रोटीन है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को शांत करने में मदद करता है।
फिजियोथेरेपी :- फिजियोथेरेपी एक प्रकार का व्यायाम है जो मांसपेशियों की मजबूती और संतुलन को सुधारने में मदद करता है।
वेंटिलेटर सपोर्ट :- वेंटिलेटर सपोर्ट एक प्रकार का उपचार है जो सांस लेने में परेशानी आने पर रोगियों को दिया जाता है।
डॉ. मोनिका ने इस बात से इंकार किया कि जीबी सिंड्रोम कोई लाइलाज बीमारी है। हालांकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जीबी सिंड्रोम एक गंभीर विकार है जिसके लिए तुरंत चिकित्सा की आवश्यकता होती है।यदि किसी को जीबी सिंड्रोम के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर उपचार कराना चाहिए।