इंदौर : हाईकोर्ट द्वारा जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देने के बावजूद उनके अड़ियल रवैए को देखते हुए प्रदेश सरकार ने सख्त रवैया अख्तियार कर लिया है। सरकार ने जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध पांच मेडिकल कॉलेजों में पीजी के फाइनल ईयर के 468 स्टूडेंट्स के नामांकन कैंसिल (बर्खास्त) कर दिए हैं। इनमें GMC भोपाल के 95, MGM इंदौर के 92, गजराजा कॉलेज ग्वालियर के 71, नेताजी सुभाषचंद्र बोस कॉलेज जबलपुर के 37 और श्यामशाह कॉलेज, रीवा के 173 स्टूडेंट्स शामिल हैं।
बता दें कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद जूनियर डॉक्टरों ने हठधर्मिता अपनाते हुए हड़ताल खत्म करने से इनकार कर दिया। उन्होंने सामूहिक इस्तीफे देने का ऐलान करते हुए लोगों को गुमराह करने की कोशिश की। इस्तीफा कौनसे पद से दे रहे हैं, यह उन्होनें स्पष्ट नहीं किया। हकीकत ये है कि तमाम जूनियर डॉक्टर इंटर्नशिप कर रहे हैं। वे पीजी के स्टूडेंट हैं। इंटर्नशिप उनकी ट्रेनिंग का हिस्सा होती है। उन्हें जो स्टाइपेंड दिया जाता है, वह एक तरह की छात्रवृत्ति होती है। यह वेतन नहीं है। प्रतिमाह उन्हें 60 हजार रुपए स्टाइपेंड दिया जाता है, बावजूद इसके वे कोरोना काल में हड़ताल कर सरकार पर दबाव बनाने का काम कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि जूनियर डॉक्टर पहली बार ऐसा कर रहे हैं। बात- बेबात हड़ताल करना इनकी फितरत बन गई है। इनकी मनमानी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है।