इंदौर : माइक्रो इनोवेशन, व्यवसाय रूपांतरण के मूल में होना चाहिए। रचनात्मकता, स्थिरता एवं सूक्ष्म नवाचार उद्यमिता के विकास और स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इनोवेशन की कोई सीमा नहीं है, जब तक आप समय के हिसाब से अनुकूल नहीं होते, अच्छे प्रबंधक नहीं बन सकते और अस्थिर माहौल में आगे नहीं बढ़ सकते। इनोवेशन का मतलब हमारे चारो तरफ भारी बदलाव देखना नहीं है बल्कि हम वास्तविक परिवर्तन देखने के लिए माइक्रो इनोवेशन चाहते हैं। इंजीनियरों और शोधकर्ताओं को यदि स्थिरता का ज्ञान नहीं है तो वे दुनिया को और अधिक नुकसान पहुंचाएंगे। हम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और हमारी समस्याएं भी बहुआयामी हैं। इसीलिए प्रबंधन शिक्षा को कक्षा के अंदर की तुलना में कक्षा से बाहर अधिक विकसित होना चाहिए। महान प्रबंधकों को तैयार करने के लिए हमें समग्र व्यक्तित्व वाले छात्रों को बनाने की जरूरत है । यह विचार मुख्य अतिथि एवं नेशनल बोर्ड ऑफ़ एक्रिडिटेशन (एन बी ए ) के चेयरमैन डॉ. के के अग्रवाल ने व्यक्त किए । वे प्रेस्टीज प्रबंध एवं शोध संस्थान द्वारा आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में सम्बोधित कर रहे थे ।
प्रेस्टीज प्रबंध एवं शोध संस्थान द्वारा लंदन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस एंड फाइनेंस, सिंगापुर ; मिसिसिप्पी कॉलेज, मिसिसिप्पी, यूएस; सिनर्जी यूनिवर्सिटी, मास्को रूस; नार्थ- ईस्टर्न फ़ेडरल यूनिवर्सिटी रूस; एवं पोलटावा यूनिवर्सिटी ऑफ इकॉनॉमिक्स एंड ट्रेड, यूक्रैन के संयुक्त तत्वावधान मे आयोजित इस वर्चुअल कांफ्रेंस की थीम थी “इनोवेटिव एंड अडाप्टिव मैनेजमेंट स्ट्रेटेजीज फॉर सस्टेनेबल एन्त्रेप्रेंयूरिअल, बिज़नेस ग्रोथ”। इस दो दिवसीय कांफ्रेंस में मार्केटिंग, जनरल मैनेजमेंट एंड एच आर, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, फाइनेंस, इकोनॉमिक्स एवं लॉ विषयो पर आधारित दस टेक्निकल सेशंस में भारत के अलावा कनाडा, अमेरिका, जर्मनी और भूटान से 200 से भी ज़्यादा डेलीगेट्स ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
उद्घाटन सत्र 23 अक्टूबर को संस्थान की सीनियर डायरेक्टर डॉ योगेश्वरी फाटक के स्वागत भाषण से शुरू हुआ। डॉ. फाटक ने संस्थान द्वारा आमंत्रित विशिष्ट अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस बार वर्चुअल माध्यम से जुड़े प्रतिभागियों के साथ विभिन्न दृष्टिकोण, नवीन विचारों, एवं अनुभवों को साझा किया । उन्होंने कहा, सोशल इनोवेशन की बहुत जरूरत है। इसके माध्यम से हम समाज को समृद्ध बनाने में मदद कर सकते हैं। समाज ने इस महामारी के कारण दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों का सामना किया, इसके दौरान हमनें व्यावसायिक प्रयोग, संगठनों द्वारा नई रणनीतियों को अपनाते हुए देखा है। यह नवाचार समाज को आगे बढ़ने में मदद कर रहा है। सरकारऔर गैर सरकारी कंपनियों को समाज में स्थिरता लाने की दिशा में योगदान देने के लिए पहले के तुलना में अब और ज्यादा आगे आना चाहिए । एक समृद्ध समाज को बनाने में कॉरपोरेट्स की भी प्रमुख भूमिका होती है। महामारी ने हमें व्यापार रणनीतियों पर पुनर्विचार करने का अवसर भी दिया है ।
इस अवसर पर मनदेशी महिला बैंक की अध्यक्ष, चेतना सिन्हा ने कहा “महिला सशक्तिकरण और उनकी भागीदारी को ध्यान में रखते हुए भारत के ग्रामीण इलाको में मनदेशी महिला बैंक बैंक की स्थापना गयी। यह सफर आसान नहीं था लेकिन हम सफल हुए हैं और अपनी अलग पहचान बनाई है। जब हमने यह यात्रा शुरू की तो हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ा मुख्यतः महिलाओं की निरक्षरता के कारण । समिति की महिलाएं एक साक्षरता समूह में शामिल हुईं और पढ़ना-लिखना सीखा । हम सूक्ष्म महिला उद्यमियों को समर्थन देते हैं और उन्हें पुरुष पुरुष प्रधान ग्रामीण समाज में सामान अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं । उन्हें सशक्त बनाने के लिये हमने उन्हें वित्तीय साक्षरता सिखाई। हमने समय के अनुसार अपनी रणनीतियों को बदला और हमारे बैंकिंग समुदाय को मजबूत किया । इन्हें संस्थान द्वारा सामाजिक योगदान के लिये “सामाजिक उद्यमिता पुरस्कार” से नवाज़ा गया ।
कांफ्रेंस को सम्बोधित करते हुए, प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष, डॉ डेविश जैन ने कहा “यह सम्मेलन विशेष रूप से युवा छात्रों के लिए प्रबंधन कौशल, ज्ञान अर्जित करने और कॉर्पोरेट गतिशीलता को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। पीआईएमआर में हम मंच प्रदान करने और उन मुद्दों को संबोधित करने में विश्वास करते हैं जिन पर ध्यान देने और अन्वेषण की आवश्यकता है। कोविड ने हमें टेक्नोलॉजी के और भी करीब ला दिया । टेक्नोलॉजी अगर अवसर है तो यह एक चुनौती भी है। जिस तरह कारखानों में रोबोटिक हथियार उन्नत हो रहे हैं, ड्रोन नई सुरक्षा प्रणालियाँ हैं। यह तकनीक के अभ्यस्त होने का समय है। प्रत्येक व्यवसाय कठिन परिस्थितियों में सीखता और बढ़ता है यदि वे अनुकूलन, नवाचार और रणनीति के लिए तैयार हैं। बदलते वैश्विक परिदृश्य में सामाजिक मूल्य का बहुत महत्व है, समाज भारत की सबसे बड़ी संपत्ति है। इसे सामाजिक पूंजी कहा जाता है। इस तरह हम हमारे समाज, आस्था, और परंपराओं को लेकर एक बेहतर कल की ओर बढ़ रहे हैं।
प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के सीओओ डॉ. अनिल वाजपेयी ने उपस्थित अतिथियों, प्रतिभागीयों और छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा “अनुकूल प्रबंधन आज की मांग है, कोविड ने संगठनों के कार्य पैटर्न को बदल दिया है, जो बदलाव ला सके अपने कार्यप्रणाली में, वे कामयाब रहे । हमारा समाज, एक महान संपत्ति है और समाज के उत्थान से ही राष्ट्र का उत्थान संभव है।राष्ट्र निर्माण में युवाओं की अहम भूमिका होती है। युवाओं में बदलाव लाने की ताकत है जो किसी भी देश को विकसित करने और प्रगति की ओर ले जाने में मदद करती है । हमारे पास एक विशाल युवा आबादी है जो देश के सभी क्षेत्रों में जबरदस्त योगदान दे सकती है। हमारा देश सहिष्णु और उदार समाज का पथ प्रदर्शक रहा है। इस सभ्यता में बहुत सी चीजें हैं जिसे युवा को सीखने और अनुकूलित करने की जरूरत है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. तुफैल सैयद, संस्थापक एवं अध्यक्ष जेम्स आईइंड इंस्टीट्यूट और रशफोर्ड बिजनेस स्कूल, स्विट्ज़रलैंड ने कहा “हम घर, स्कूल, कॉलेज, कार्यस्थल और समाज में अपने पूरे जीवन के लिए मूल्यों का निर्माण कर रहे हैं। पिछले एक साल से हम लोगों से दूर हैं लेकिन तकनीक की मदद से किसी तरह करीब आ गए हैं। कोविड के बाद ऐसा देखा गया की कि हमने परिवार और समुदायों के साथ अधिक समय बिताया है और हम उनका और भी ज्यादा सम्मान करना सीख रहे हैं। व्यवसाय को इस नए समय के अनुकूल होना होगा, आप देखेंगे कि संगठन इस बड़े बदलाव के लिए बहुत जल्दी विकसित हो गए हैं। आपकी नौकरी के मूल सिद्धांत कई मायनों में बदल गए हैं सभी दिशाओं से आने वाले बदलाव के लिए तैयार रहें। भविष्य में पेशेवर प्रबंधन वातावरण में व्यवहारिक व्यक्तित्व और कौशल पहलू अधिक महत्वपूर्ण है।
कांफ्रेंस के दूसरे दिन मैनेजमेंट कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया जिसमे उद्योग जगत के वरिष्ठ अधिकारियों ने नवाचार और स्थिरता पर अपने अनुभव और विचार साझा किए। इस दिन नेशनल बिज़नेस प्लान कांटेस्ट “स्वावलंबन ” का भी आयोजन किया गया जिसमे देश के विभिन्न संस्थानों के विद्यार्थियों ने अपने बिज़नेस प्लान प्रस्तुत किए। इस प्रतियोगिता में एलजे इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद की जाह्नवी पाला, महिमा अग्रवाल और विनीता सोलंकी की टीम को विजेता घोषित किया गया, जबकि संत हिरदाराम इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, भोपाल की नंदिनी नागोत्रा और द्रष्टि ठाकुर की टीम उपविजेता रही।
कांफ्रेंस का समापन दूसरे दिन 24 अक्टूबर को हुआ। समापन समारोह में मालाबार इन्वेस्टमेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर सुमित नागर विशिष्ट अतिथि थे। उन्होंने व्यवसाय पर नवाचार और स्थिरता के प्रभाव विषय पर भाषण दिया। ज़ोमैटो, फ्लिपकार्ट, ओला और ट्रूकॉलर जैसे सफल स्टार्ट-अप का उदाहरण देते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि कंपनी के विकास में नवाचार महत्वपूर्ण भूमिका है। ये कंपनियां सफल हैं क्योंकि वे कुछ नया करने में में विश्वास करती हैं। नवाचार का मतलब ही कुछ नया और अलग हटकर करना है। आज के दौर में व्यावसायिक सफलता के लिए यह अत्यंत आवश्यक है ।
समापन समारोह में सामाजिक कार्यकर्ता पदमश्री श्याम सूंदर पालीवाल को पीआईएमआर सोशल ट्रांसफॉर्मेशन अवार्ड से नवाज़ा गया । पालीवाल ने सुझाव दिया कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से ही स्थिरता प्राप्त की जा सकती है। प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन पारिस्थितिकी तंत्र और मानव जाति के कल्याण को नुकसान पहुंचा सकता है। हमें प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को सीखने की जरूरत है तभी हम वास्तविक अर्थों में स्थिरता प्राप्त कर सकते हैं ।
समापन समारोह के मुख्य वक्ता श्री आनंद लक्ष्मणन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक संगठन उम्मीदवारों को नौकरी पर रखते समय क्या देखता है। उन्होंने तीन आवश्यक गुणों को विस्तृत किया, सकारात्मक दृष्टिकोण, बेहतर कम्युनिकेशन स्किल्स और विनम्रता, जो एक लंबे समय तक चलने वाले और सफल करियर के लिए एक उम्मीदवार के पास होनी चाहिए।
डॉ. हर्षवर्धन हलवे, डायरेक्टर इंचार्ज यूजी कैंपस ने कार्यक्रम के अंत में प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद व्यक्त किया। कांफ्रेंस के समन्वयक डॉ. तरुण कुशवाहा, डॉ. अर्पित लोया, डॉ. रक्षा ठाकुर, डॉ. स्वाति राय एवं डॉ. सुमित झोकरकर ने बताया कि कांफ्रेंस में प्रस्तुत किए गए चुनिंदा शोध पत्रों का प्रकाशन एबीडीसी, स्कोपस जैसे विश्वसनीय एवं प्रख्यात डेटाबेस मे लिस्टेड जर्नल्स मे किया जाएगा।