जोश, जज्बा, जुनून और जिद से वैशाली ने तय किया शून्य से शिखर तक का सफर

  
Last Updated:  March 8, 2021 " 01:37 pm"

इंदौर : ( राजेन्द्र कोपरगांवकर) नायिकाएं सिर्फ बड़ी- बड़ी शख्सियतें या बड़े घरानों से जुड़ी महिलाएं ही नहीं होती, हमारे आसपास ऐसी कई नायिकाएं हैं जो साधारण जीवन जीते हुए भी कठोर परिश्रम लगन और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण की बदौलत ऊँचा मुकाम हासिल करने में सफल रहीं हैं। इसका बेहतर उदाहरण है वैशाली व्यास। आज वो इंदौर शहर की जानी- पहचानी न्यूज़ एंकर हैं। शहर के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उनसे सीनियर न्यूज़ एंकर फिलहाल नहीं हैं। 16-17 वर्षों से वे अनवरत काम कर रहीं हैं। वैशाली ने तमाम बाधाओं को पार करते हुए, चुनौतियों से जूझते हुए अपने लिए वो बनाई जो कभी उनका ख्वाब हुआ करता था। आज जो सम्मान और प्रतिष्ठा इंदौर के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उन्हें प्राप्त है, वो उनकी अथक मेहनत और सतत प्रयासों का नतीजा है।

घूंघट से निकलकर दी सपनों को उड़ान।

वैशाली का बीते 16 वर्षों का सफर आसान नहीं था। वो ऐसे समाज और परिवार से आती हैं, जहां महिलाओं पर कई बंदिशें होती हैं। उन्हें घूंघट में रहना होता है। ऐसे में घर से बाहर निकलकर अपने सपनों को उड़ान देना वैशाली के लिए एक सपना ही था। शादी जल्दी हो गई थी। दो बच्चों की मां भी वे बन गई थीं।बहु के बतौर घर परिवार के सारे काम उनके जिम्मे थे, उसी के साथ बच्चों के लालन- पालन का दायित्व। पत्नी, बहु व मां के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए भी उनका सपना उन्हें चैन से बैठने नहीं दे रहा था। वो सपना था न्यूज़ एंकर बनने का, दूरदर्शन पर महिला न्यूज़ ऐंकर्स को देखते सुनते हुए उनकी ये इच्छा बलवती होती गई, पर रास्ता बहुत कठिन था। घूंघट से बाहर आकर घर की दहलीज लांघना बड़े- बुजुर्गों को मंजूर नहीं था। पर वो कहते हैं न कि जहां चाह वहां राह होती है। वैशाली की दृढ़ इच्छाशक्ति और सपने को सच करने के जुनून को साथ मिला पति रवि व्यास का। वे वैशाली के साथ खड़े हुए और उसे प्रेरित किया कि वो आगे बढ़े और अपने सपने को साकार करें। इसके बाद वैशाली ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। तमाम झंझावातों के बीच से गुजरते हुए करीब 16-17 वर्ष पूर्व उन्होंने न्यूज़ एंकर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया। तब से शुरू हुआ ये सफर विभिन्न पड़ावों से गुजरते हुए आज भी जारी है। वो शहर की इकलौती ऐसी एंकर हैं जो न्यूज़ एंकरिंग के साथ स्क्रिप्टिंग और वीडियो एडिटिंग भी कर लेती हैं।

घर- परिवार के साथ काम को भी बखूबी संभालती हैं वैशाली।

सुबह 4 बजे उठकर घर के काम निपटाना, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना, उन्हें टिफिन बनाकर देना और बाद में खुद तैयार होकर सुबह 7 बजे दफ्तर के लिए निकलना वैशाली के लिए बरसों तक रूटीन रहा। चैनल पहुंचकर सुबह का बुलेटिन पढ़ने के साथ वीडियो एडिटिंग कर उसे टेलीकास्ट के लिए दे कर वैशाली घर लौटती थीं और घरेलू काम में जुट जाती थी। सारे काम निपटाने के बाद शाम 4 बजे फिर प्राइम टाइम बुलेटिन के लिए निकल जाती थीं तो रात साढ़े आठ बजे घर पहुंचती थीं। फिर वहीं खाना पकाना, पति और बच्चों को समय देना उनका रोज का क्रम था।

वैशाली के कारण है पहचान।

वैशाली के पति रवि व्यास खुले दिल से स्वीकारते हैं कि आज उनकी पहचान वैशाली के पति के रूप में होती है और इसकी उन्हें बेहद खुशी है। वैशाली का जिक्र होते ही जो सम्मान और आदर भाव उनके प्रति नजर आता है, उसे देख- सुनकर उन्हें गर्व महसूस होता है।

चुनौतियों से लड़ने का दूसरा नाम है वैशाली।

चुनौतियों और बाधाओं से जूझते हुए अपने लक्ष्य तक कैसे पहुंचा जाए, ये वैशाली से सीखा जा सकता है। टाइम मैनेजमेंट का तो वे जीता- जागता उदाहरण हैं। इतना समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बिताने के बाद वे चाहती हैं कि नई एंकर्स की पौध को तैयार करें। इस दिशा में उन्होंने काम करना भी शुरू कर दिया है।

महिलाओं के लिए रोल मॉडल हैं।

वैशाली उन महिलाओं के लिए रोल मॉडल हैं जो शादी के बाद अपने सपनों को दफन कर देती हैं। अगर वे जज्बा, जुनून और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अपने सपने को पूरा करने में जुट जाएं तो कोई बाधा उनके आड़े नहीं आ सकती। आज भी वैशाली अपने काम के प्रति वही जज्बा और समर्पण भाव रखती हैं जो 16-17 साल पहले हुआ करता था। आने वाले समय में शहर को ऐसी कई वैशाली मिले यही उम्मीद हम सब करते हैं।विश्व महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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