ज्ञानवापी की तर्ज पर भोजशाला का भी होगा वैज्ञानिक सर्वेक्षण

  
Last Updated:  March 11, 2024 " 10:55 pm"

हाई कोर्ट ने एएसआई को विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर डेढ़ माह में रिपोर्ट पेश करने का दिया आदेश।

इंदौर : धार स्थित भोजशाला के मामले में हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने अहम आदेश पारित किया है। डबल बेंच द्वारा दिए गए इस आदेश के तहत ज्ञानवापी की तर्ज पर भोजशाला का भी वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जाएगा। हाई कोर्ट ने एएसआई को भोजशाला का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर डेढ़ माह में अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी के गठन का भी आदेश दिया गया है।

बता दें कि भोजशाला को लेकर लंबित मामले के बीच हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा हाई कोर्ट में अंतरिम आवेदन दिया था। इस आवेदन के जरिए ज्ञानवापी की तर्ज पर भोजशाला का भी एएसआई से सर्वे करवाने की मांग की गई थी। इस आवेदन पर हुई सुनवाई के दौरान दूसरे पक्ष ने इस मांग का विरोध किया था। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद डबल बेंच ने एएसआई (आर्कियालॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) को आदेश दिया कि वह भोजशाला का सर्वे कर वस्तुस्थिति की रिपोर्ट डेढ़ माह में कोर्ट में पेश करें।

इन बिंदुओं पर होगा सर्वे :-

भोजशाला के पूरे परिसर का सर्वे और उत्खनन वैज्ञानिक पद्धति से होगा

उत्खनन और सर्वे GPS GPR तकनीक के साथ कार्बन डेटिंग तथा अन्य नई तकनीक से किया जाएगा।

परिसर के सभी बंद पड़े कमरों, खुले परिसर और खंभों का विस्तार से होगा सर्वे।

भोजशाला परिसर की बाउंड्रीवाल से 50 मीटर की दूरी तक सर्वे किया जाएगा।

एएसआई के वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी की निगरानी में सर्वे होगा।

उत्खनन एवं सर्वे की वीडियोग्राफी कराई जाएगी।

उत्खनन सर्वे की रिपोर्ट डेढ़ महीने में हाई कोर्ट में प्रस्तुत करना होगी।

Monuments Act 1958 की धारा 16 तथा 21 के अंतर्गत ASI का कर्तव्य है कि यदि किसी स्थान पर आशंका है तो वहां खुदाई कर तथ्यों की पहचान करे।

लंबे समय से चल रहा विवाद।

दरअसल, भोजशाला को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर भोजशाला को सरस्वती मंदिर बताते हुए मांग की थी कि यहां हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार दिया जाए। कोर्ट ने याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद केंद्र, राज्य सरकार और संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। इस बीच अंतरिम आवेदन पेश कर हिंदू फ्रंट ने ज्ञानवापी की तरह एएसआई से सर्वे की मांग की। इसी आवेदन पर बहस के बाद हाई कोर्ट ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया।

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