इंदौर : वर्ष 2024-25 की समाप्ति की ओर है ! साथ ही एक नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत भी हो रही है ! ऐसी दशा में एक करदाता को क्या सावधानी रखनी चाहिए ! नए वर्ष में कौन से नए प्रावधान लागू हो रहे हैं। इन विषयों पर चर्चा के लिए टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन (टीपीए ) एवं चार्टर्ड अकाउंटेंटस की इंदौर शाखा द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया !
मुख्य वक्ता सीए शैलेन्द्र पोरवाल ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्ष की समाप्ति पर करदाता को सबसे पहले अपनी लेखा पुस्तकों से वर्ष भर फाइल किये गए जीएसटीआर 1 एवं 3B से मिलान कर लेना चाहिए ! किसी भी प्रकार की गलती हो तो उसे मार्च माह के लिए दाखिल किये जाने वाले रिटर्न्स में सुधार लेना चाहिए ताकि रिटर्न्स एवं बुक्स में कोई अंतर नहीं रहे ! मुख्य रूप से विक्रय , इनपुट टैक्स क्रेडिट, डेबिट एवं क्रेडिट नोट रिवर्स चार्ज में कर के भुगतान का मिलान अवश्य कर लेना चाहिए !
मिलान करते समय इनपुट टैक्स क्रेडिट सम्बंधित प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए यदि गलती से कोई क्रेडिट ले ली गयी है तो अधिक ली गई क्रेडिट की राशि को ब्याज सहित रिवर्स कर जमा कर देना चाहिए | इसी प्रकार किसी भी फिक्स्ड एसेट्स की बिक्री होने पर उस पर जीएसटी देने की कोई जिम्मेदारी तो नहीं आ रही उसकी भी जांच कर लेना चाहिए ! उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2017 -18 से 2019 – 20 तक के लिए यदि कोई मांग, धारा 73 के तहत जारी की गयी हो तो तो 31 मार्च तक कर की राशि का भुगतान करके ब्याज, पेनल्टी एवं लेट फीस से बच सकते हैं। इसी प्रकार वर्ष 2017-18 से 2020-21 के लिए अगर कोई मांग धारा 16(4) में निकाली गई है एवं सम्बंधित क्रेडिट लेने के लिए रिटर्न 30.11.2021 तक भर दिए हो तो रेक्टीफिकेशन आवेदन लगाया जाकर ऐसी डिमांड का समाधान कराया जा सकता है।
नए वित्त वर्ष 2025 -26 के लिए उन्होंने कहा कि एक्सपोर्ट या एसईजेड को बिना कर के भुगतान के सप्लाई करने के लिए करदाता को LUT फाइल करना होगा ! इसी प्रकार नए वित्त वर्ष में त्रैमासिक रिटर्न (QRMP) या जीटीए द्वारा 12 % की दर से कर के भुगतान के विकल्प का चुनाव करने के लिए पोर्टल पर एक घोषणा पत्र दाखिल करना होगा ! नए वर्ष की शुरुआत के कारण इनवॉइस नंबर में बदलाव आवयशक नहीं है। करदाता चाहे तो पुरानी सीरीज से ही कार्य कर सकता है। वर्ष 2024 -25 में टर्नओवर 5 करोड़ से ज्यादा होने पर वर्ष 2025 -26 में ई इनवॉइस के प्रावधान लागू हो जाएंगे अतः उसका ध्यान रखना आवश्यक है अन्यथा विक्रेता और क्रेता दोनों परेशान होंगे।
सीए सुनील पी जैन ने कहा कि अप्रैल 2025 से जीएसटी के प्रावधानों में कुछ परिवर्तन किये जा रहे हैं। किसी ऎसे होटल में जहाँ किसी भी कमरे का किराया 7500 से कम है तो वर्तमान में रेस्टोरेंट को 05 % से जीएसटी देना होता है एवं इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता ! अब वर्ष 2025-26 के लिए एक घोषणा पत्र दाखिल करके 18 % की दर से कर का भुगतान करके इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया जा सकता है ! जीएसटी में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी करदाता का डाटा चुराया नहीं जा सके उसके लिए मल्टी फैक्टर ऑथेन्टिकेशन (MFA ) का नियम लाया गया है ! एक ही पैन पर एक से अधिक रजिस्ट्रेशन की दशा मैं कॉमन क्रेडिट को वितरित करने के लिए इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर का रजिस्ट्रेशन लेकर क्रेडिट को डिस्ट्रीब्यूट करना अनिवार्य कर दिया गया है !
टीपीए अध्यक्ष सीए जेपी सर्राफ ने कहा कि एक करदाता एवं कर सलाहकार को जीएसटी में नित्य हो रहे परिवर्तन की जानकारी रखकर ही कार्य करना चाहिए अन्यथा उन पर कर की मांग के साथ ब्याज एवं पेनल्टी के लिए नोटिस जारी हो सकता है !
कार्यक्रम में आरएस गोयल, एस सी बंसल, यश खंडेलवाल, पंकज सेठी, अक्षत बाहेती एवं बड़ी संख्या में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स व कर सलाहकार उपस्थित थे ! आभार टीपीए के स्टेट जीएसटी सचिव कृष्ण गर्ग ने माना।