रास्ते पर चलते समय, रास्ते के हिसाब से मुड़ना पड़ता है।आशाएं टूटने से हम अपनी, विशेषताएं छोड़ देते हैं, तो आवश्यकता है स्वीकार करने की। आशा छोड़ना नहीं, निराश होना नहीं, अमृत मिलता नहीं, इसलिए जहर पीना नहीं।
माफी, धन्यवाद को जीवन में स्थान दीजिये, कांटो,ठोकरों, बुरे अनुभवों को अंतर्मन से उखाड़ फेकिए तो ही जीवन का आनंद, परमानंद में परिवर्तित होगा।
जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीने का ये फलसफा बयां किया मप्र राज्य आनंद संस्थान की डॉ. समीरा नईम ने। वे आइएमए इंदौर और एमजीएम एलुमनाई एसोसिएशन द्वारा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यशाला में अपने विचार रख रहीं थीं। कार्यशाला में संस्थान के जीतेश श्रीवास्तव ने भी जीवन को आनंदमय बनाने के गुर बताए।
डॉ. समीरा ने कहा कि खुशी के समय कोई भी वादा मत कीजिए, गुस्से की स्थिति में कोई भी जवाब मत दीजिए और दुख के समय कोई भी निर्णय मत कीजिये। छोटी छोटी एक्टिविटी, एक्सरसाइज के माध्यम से करीब 3 घंटे चली कार्यशाला में उपस्थित डॉक्टर्स व सुधि श्रोताओं को डॉ समीरा ने Joy of living & joy of Giving के सार तत्वों से अवगत कराया। कार्यक्रम में संगीत स्पर्धा के विजयी डॉक्टर्स का अभिनंदन भी किया गया।
प्रारंभ में अतिथि वक्ताओं का स्वागत एलुमनी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ शेखर राव, डॉ दिलीप आचार्य, आईएमए के सचिव डॉ. मनीष माहेश्वरी, डॉ शेनल कोठारी और डॉ श्रीलेखा जोशी ने किया। कार्यक्रम की जानकारी डॉ विनीता कोठारी ने दी। संचालन डॉ संजय लोंढे ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में डॉक्टर्स व उनके परिजन उपस्थित थे।