इंदौर : पंचम निषाद संगीत संस्थान और दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र नागपुर के संयुक्त तत्वावधान में जाल सभागृह में आयोजित महफ़िल ‘ठुमरी का ठाठ’ का समापन शुक्रवार को हुआ।
ठुमरी की इस महफ़िल के दूसरे और अंतिम दिन की शुरुआत इंदौर की शास्त्रीय- उपशास्त्रीय गायिका शोभा चौधरी ने
राग मिश्र खमाज में बंदिश पेश कर की। उन्होंने अध्धा त्रिताल में ठुमरी “कोयलिया कूक सुनाए” विस्तार से बोल बनाते हुए सुनाई।
इसके बाद उन्होंने राग कौशिक ध्वनी में दादरा गाया।” श्याम तोहे नजरिया लग जाएगी”। अपने गायन को आगे बढाते हुए उन्होंने एक कजरी गाई ,”कहनवा मानो ओ राधा रानी” इस कजरी को राग पिलु के सभी अंगों को छूते हुए उन्होंने विशेष ठाठ से गाई।
शोभा चौधरी के गायन में उनका साथ निभाया, उन्हीं की शिष्याएं मीनल मोडक और वैभवी कुलकर्णी ने। तबले पर संगति संजय मंडलोई ने की और हारमोनियम पर थी दिल्ली से पधारी परोमिता मुखर्जी।
शुभ्रा गुहा के गायन से परवान चढ़ी महफ़िल।
शोभा चौधरी के बाद कोलकाता से आई शुभ्रा गुहा ने मंच संभाला।
उन्होंने मिश्र धानी में बंदिश की ठुमरी “सो देखो मोरी ढुरक न जाए गगरी” पेश कर सिद्धहस्त गायिका होने का अहसास कराया। इस के बाद टप्प खयाल “तुम तो अपरंपार,पालनहार” गाकर उन्होंने कार्यक्रम को ऊंचाई पर पहुंचाया।
मिश्र काफी राग “अचरा छाडो कन्हाई” से उन्होंने कार्यक्रम का समापन किया।
शुभ्रा गुहा के साथ दिल्ली से पधारे मिथिलेश कुमार झा ने तबले पर और परोमिता मुखर्जी ने हारमोनियम पर संगत की।संचालन संजय पटेल ने किया।
ठंड के बावजूद रसिक श्रोताओं की उपस्थिति अच्छी रही।