पांच कवि भी काव्य गौरव अलंकरण से सम्मानित।
भाषा और भारतीयता की चिंता आवश्यक- प्रो. द्विवेदी।
हिन्दी के प्रति भाषाई परतंत्रता आज भी जारी- डॉ. माधव।
हिन्दी प्रचार में समाचार पत्रों की अहम भूमिका रही- शिवकुमार विवेक।
इंदौर : हिन्दी भाषा के विस्तार के लिए कार्यरत ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’ के बैनर तले शनिवार (22 मार्च 2025) को इन्दौर प्रेस क्लब के राजेंद्र माथुर सभागार में हिन्दी गौरव अलंकरण समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान वर्ष 2025 का हिन्दी गौरव अलंकरण वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नीरजा माधव व शिवकुमार विवेक को प्रदान किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी थे। अध्यक्षता इन्दौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने की।
अतिथियों का स्वागत शैलेश पाठक, नीतेश गुप्ता, डॉ. नीना जोशी, जलज व्यास, पारस बिरला, ईश्वर शर्मा, अर्जुन रिछारिया, मणिमाला शर्मा ने किया।
स्वागत उद्बोधन डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने दिया। संचालन डॉ. अखिलेश राव ने किया। अभिनन्दन पत्र का वाचन विनीता तिवारी व रमेश चंद्र शर्मा ने किया।
समारोह में पुणे की निधि गुप्ता ‘कशिश’, धौलपुर के अपूर्व माधव झा, चन्देरी के सौरभ जैन ‘भयंकर’, रतलाम के प्रवीण अत्रे और गौतमपुरा के पंकज प्रजापत को काव्य गौरव अलंकरण से सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ. संजय द्विवेदी ने इस मौके पर कहा कि ‘भाषा और भारतीयता की चिंता आवश्यक है, राष्ट्रीयता कम हुई तो आदर के मान बिंदुओं के साथ दुर्व्यवहार होगा।’
सम्मान मूर्ति नीरजा माधव ने कहा कि ‘राष्ट्रीयता की भावना का सागर हिलोरे लेने लगेगा, तो भाषाई विरोध के तटबंध टूट जायेंगे। हिन्दी को किश्तों में लागू करने की भूल रही, इससे हिन्दी का नुकसान हुआ। भारतीय भाषाओं के लिए सर्वमान्य लिपि देवनागरी हो, इससे सभी भाषाओं में समन्वय स्थापित होगा।’
सम्मान मूर्ति शिवकुमार विवेक ने कहा कि ‘हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में समाचार पत्रों की अहम भूमिका रही है। भाषा की मर्यादा और शालीनता समाचार पत्रों ने सिखाई है। समाचार पत्रों ने ही भाषा का बाज़ार तैयार किया।’
अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने कहा कि ‘भाषाई एकता की मज़बूत इकाई है मातृभाषा उन्नयन संस्थान।’
आयोजन में साहित्यकार सुषमा व्यास ‘राजनिधि’ के कहानी संग्रह तीसरे क़दम की आहट का लोकार्पण भी हुआ।
इस अवसर पर बेनी माधो, सूर्यकांत नागर, नर्मदाप्रसाद उपाध्याय, पुरुषोत्तम दुबे, योगेन्द्रनाथ शुक्ल, दीपक कर्दम, संध्या रॉय चौधरी, डॉ. सुनीता फड़नीस आदि सहित बड़ी संख्या में रचनाकार और साहित्यप्रेमी मौजूद रहे।