गांधी के विचारों की प्रासंगिकता हमेशा रहेगी।
गांधी की विचारधारा को अपनाने की जरूरत।
इंदौर : राष्ट्रीय कवि प्रोफेसर राजीव शर्मा का कहना है कि हम तीन गोली से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को मार सकते हैं लेकिन उनकी विचारधारा को नहीं । गांधी ने कहा था कि देश के स्वराज के लिए देश की अपनी भाषा का होना जरूरी है । यह दुर्भाग्य है कि आज भी हमारे देश की अपनी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है
प्रो शर्मा ने ये विचार गांधी जयंती के पूर्व दिवस पर अभ्यास मंडल द्वारा मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति और इंदौर स्कूल ऑफ सोशल वर्क के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में स्वराज और गांधीजी विषय पर संबोधित करते हुए व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि भावना को भक्ति, साधना को शक्ति और स्वर को अभिव्यक्ति की जरूरत होती है । जब हम गांधी की बात करते हैं तो यह जान लीजिए कि उन्होंने हमेशा जो कुछ कहा और जो कुछ किया वह दिल से किया है । अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी यह निष्कर्ष निकाला था की गांधी ने केवल 35% दिमाग का उपयोग किया, बाकी 65% काम दिल से किया । गांधी और गीता को हम अनुभव से ही समझ सकते हैं।
गांधी आज भी प्रासंगिक हैं।
माहेश्वरी कॉलेज के प्राचार्य राजीव झालानी ने कहा कि महात्मा गांधी की उदात्त जीवन शैली और कार्यपद्धति आज भी प्रासंगिक है और कल भी रहेगी। उनके विचार पूरी दुनिया के लिए हैं।
गांधी की सोच और करनी में अंतर नहीं था।
गांधीवादी विचारक अनिल त्रिवेदी ने कहा कि गांधी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं तो उसका बड़ा कारण यह है कि उनकी सोच और करनी में अंतर नहीं था।उन्होंने कहा कि भयमुक्तता और स्वावलंबन का नाम गांधी है। मानवता का दर्शन गांधी ने दुनिया को समझाया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत रामेश्वर गुप्ता, हरेराम वाजपेई, ओम प्रकाश नरेड़ा, दीप्ति गौड़, कुणाल भंवर, किशन सोमानी ने किया । कार्यक्रम का संचालन आकाश यादव ने किया । अंत में आभार प्रदर्शन नेताजी मोहिते ने किया।