नई दिल्ली: गुरुवार को केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में रखा गया तीन तलाक बिल लंबी बहस के बाद ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। कांग्रेस, जेडीयू और टीएमसी सांसदों ने बिल का विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट किया। ओवैसी और विपक्षी दलों के सांसदों द्वारा बिल में संशोधन को लेकर लाए गए तमाम प्रस्ताव मतविभाजन के जरिये खारिज कर दिए गए। सरकार अब इसे राज्यसभा से भी इसी सत्र में पारित करवाने का प्रयास करेगी। संसद का सत्र भी इसके चलते 7 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है। मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में भी तीन तलाक़ बिल लेकर आई थी लेकिन राज्यसभा में यह बिल अटक गया था। बाद में इस बिल को लेकर अध्यादेश जारी किया गया था।
कानून मंत्री ने दिया आपत्तियों का जवाब।
तीन तलाक़ बिल पर करीब तीन घंटे तक चली लंबी बहस के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष द्वारा बिल को लेकर जताई गई आपत्तियों और उठाए गए सवालों का तथ्यों के साथ विस्तृत जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ये मसला धर्म, इबादत, सियासत या वोट का नहीं बल्कि महिलाओं के साथ न्याय का है। वोट बैंक की खातिर विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे है।
उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि जब 20 से अधिक मुस्लिम देशों में तीन तलाक़ पर प्रतिबंध लगाया गया है। खुद मोहम्मद पैगम्बर साहब इसे गलत मानते थे तो फिर बिल का विरोध क्यों किया जा रहा है।
कांग्रेस पर जमकर बरसे रविशंकर।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद बिल का विरोध कर रही कांग्रेस पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि 1986 में शाहबानों केस में कांग्रेस के पांव डगमगाए नहीं होते तो आज हमें यह बिल लाने की जरूरत नहीं पड़ती। कानून मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक़ को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद भी इसतरह तलाक़ दिए जाने के मामले लगातार सामने आ रहे थे। यहां तक कि अध्यादेश लाने के बाद भी तीन तलाक़ के मामलों पर अंकुश नहीं लग सका। इसीलिए महिलाओं के साथ हो रही नाइंसाफी को रोकने के लिए यह बिल लाया गया है।