इंदौर : थायराइड से जुड़ी बीमारियां हार्मोंस के असंतुलन से होती हैं। बड़ी तादाद में लोग इन से पीड़ित होते हैं। खासकर महिलाओं में थायराइड संबंधित परेशानियां ज्यादा देखने में आती हैं। इसके बढ़ते फैलाव को देखते हुए WHO द्वारा प्रतिवर्ष विश्व थायराइड दिवस भी मनाया जाता है। थायराइड क्या होता है, क्या इसकी कार्यप्रणाली होती है, इसके घटने – बढ़ने से क्या परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। इसके लक्षण व उपचार क्या हैं, इन सारी जिज्ञासाओं को लेकर हमने एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर के मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. वीपी पांडे से चर्चा की।
शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करता है थायराइड हार्मोन।
डॉ. पांडे ने बताया कि थायराइड हमारे गले के अगले हिस्से में एक तितलीनुमा ग्रंथि होती है, जिसका वजन करीब 100 ग्राम होता है। यह ग्रंथि थायरोक्सिन हार्मोन का निर्माण करती है। यह हार्मोन हमारे शरीर में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह हमारे मेटाबॉलिज्म,फैट, हृदय गति को नियंत्रित करता है। अन्य हार्मोंस और अंगों को भी नियंत्रित करने का काम यह हार्मोस करता है। थायराइड हार्मोन दिमाग में पिट्यूटरी ग्रंथि से कंट्रोल होता है। कभी यह काम करना कम कर देता या कभी ज्यादा काम करने लगता है। ज्यादातर मामलों में यह काम करना कम कर देता है। इसे हाइपोथायरॉयडिज्म कहा जाता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में इसके लक्षण आठ गुना ज्यादा पाए जाते हैं।
ये हैं थायराइड हार्मोंस घटने के लक्षण।
हाइपोथायरॉयडिज्म याने थायराइड हार्मोंस घटने के प्रमुख लक्षणों में वजन का बढ़ना, माहवारी में अनियमितता, हार्मोंस में गड़बड़ी, थकान का बने रहना, सूजन आना, किसी काम में रुचि न रहना, नाखूनों का पतला होना व टूटना, त्वचा में रूखापन और खुजली, जोड़ों में दर्द और मांशपेशियों में अकड़न, बालों का झड़ना, कब्ज, आंखों में सूजन, बार – बार भूलना, कंफ्यूज रहना, खून में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाना आदि होते हैं।
गर्भवती महिला के बच्चे पर भी होता है प्रभाव।
अगर मां को यह बीमारी है और वह गर्भवती है तो बच्चे पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है। उसकी मानसिक ग्रोथ पर इसका असर पड़ सकता है। पैदा होते ही बच्चा सुस्त, मंदबुद्धि हो सकता है। बदन से भारी हो सकता है, उसकी जीभ मोटी हो सकती है। इसे क्रेटिनिज्म कहा जाता है।
थायराइड की जांच आसान है।
डॉ. पांडे अनुसार थायराइड की जांच आसान होती है। कुछ ही घंटों से रिपोर्ट आ जाती है और पता लग जाता है की थायराइड की कमी है या नहीं। थायराइड की कमी दूर होते ही इसके लक्षण जैसे मोटापा, सूजन, हार्मोंस की गड़बड़ी, चिड़चिड़ापन, थकान व सुस्ती दूर हो जाते हैं वहीं माहवारी की अनियमितता भी खत्म हो जाती है।
गठिया से भी है थायरॉयड का कनेक्शन।
डॉ. पांडे के अनुसार थायराइड का संबंध गठिया से भी है। कई मामलों में जांच में यह पाया गया है की थायराइड में आई कमी दूर होते ही मरीज को गठिया की तकलीफ से भी राहत मिल जाती है।
हाइपरथायरायडिज्म के ये हैं लक्षण।
डॉ. पांडे ने बताया कि थायराइड से जुड़े दूसरे विकार में हार्मोंस में बढ़ोतरी दर्ज की जाती है। इसे हाइपरथायरायडिज्म कहा जाता है। इन्फेक्शन के चलते थायराइड ज्यादा प्रोड्यूस होने लगता है। इसके कारण ह्रदय गति अनियंत्रित हो जाती है। दिनभर पसीना आता है और वजन तेजी से घटने लगता है। इसी के साथ हाथों में कम्पन, कमजोरी, चिंता, अनिद्रा, सुस्ती, अनियमित मासिक धर्म और बांझपन के लक्षण नजर आने लगते हैं। ऐसे में जांच करवाने के बाद थायराइड कम करने की दवाई दी जाती है, जिससे वह लेवल में आ जाता है और उससे होने वाली परेशानियों से राहत मिल जाती है।
थायराइड बढ़ने से हो सकता है कैंसर।
डॉ. पांडे के मुताबिक बढ़े हुए थायरॉयड से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। थायराइड कैंसर तब होता है जब कोशिकाएं उत्परिवर्तन से गुजरती हैं। असामान्य कोशिकाएं ट्यूमर बनाने लगती हैं और असामान्य कोशिकाएं आसपास के ऊतकों पर आक्रमण कर सकती हैं। यहीं से कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने लगता है। ट्यूमर में पाई जाने वाली कोशिकाओं के आधार पर थायराइड कैंसर को वर्गीकृत किया जा सकता है।
थायरोक्सिन की कमी से होता है घेंघा रोग।
घेंघा रोग भोजन में आयोडीन की कमी के कारण होता है। इस रोग में गले में स्थित थाइरॉक्सिन हार्मोन बनाने वाली अन्त:स्त्रावी ग्रन्थि थायराइड, आयोडीन की कमी के कारण पर्याप्त थाइरॉक्सिन नहीं बना पाती। इसमें गला सूज जाता है।
गले में गठानें हो जाती हैं, जिसे घेंघा रोग भी कहा जाता है। इसे ऑपरेशन द्वारा ठीक किया जा सकता है।
थायराइड का है समुचित उपचार।
डॉ. पांडे के मुताबिक थायराइड के घटने – बढ़ने का समुचित, आसान और कारगर उपचार उपलब्ध है। सही इलाज के जरिए थायराइड का लेवल बनाए रखकर उससे जुड़ी परेशानियों से निजात पाई जा सकती है। हर व्यक्ति को कम से कम एक बार थायराइड की जांच अवश्य करवानी चाहिए। इससे कई शारीरिक व मानसिक समस्याओं का समाधान समय रहते हो सकता है।