इंदौर : महात्मा गांधी केवल भारत के ही राष्ट्रपिता नहीं थे, बल्कि अमेरिका से लेकर सीरिया तक के लोग उन्हें पसंद करते थे। गांधीजी की दृष्टि में पावर का मतलब था ऊर्जा। ऊर्जा से ही ताकत पैदा की जा सकती है, लेकिन ताकत से ऊर्जा पैदा नहीं की जा सकती। गांधीजी एक अच्छे राजनीतिज्ञ समाज सुधारक, लेखक, वक्ता, प्रेरक और इन सबसे ऊपर व्यवहारिक व्यक्ति थे। उनका दर्शन हृदय की पवित्रता पर आधारित रहा। उन्होंने हृदय के विकास पर जोर दिया अर्थात दिलों से दिलों को जोड़ने की बात की। उनका मानना था कि बाहर से तो हम शिक्षा और विज्ञान के माध्यम से विकसित हो सकते हैं, लेकिन यदि भीतर की दुनिया को ठीक करना है तो धर्म और आध्यात्म का आश्रय जरूरी है। यह गांधी का ही करिश्मा है कि देश-दुनिया में हर 10 वर्ष में कोई बड़ा आंदोलन हुआ तो वे सब गांधी से ही प्रेरित रहे, चाहे मार्टिन लूथर किंग हो, नेल्सन मंडेला हो या आंग सान सू की या अपने अन्ना हजारे – ये सब गांधी से प्रभावित रहे। आज देश में युवाओं में नशाखोरी की बढ़ती प्रवृत्ति से मुकाबले के लिए गांधी दर्शन ही सक्षम हो सकता है। आज अतिमहत्वाकांक्षा के चलते गलाकाट स्पर्धा बढ़ गई है। व्यक्ति स्वार्थी हो गया और दिल से छोटा होता जा रहा है। गांधी दर्शन के माध्यम से ही देश की ज्वलंत समस्याओं का समाधान संभव है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती की पूर्व संध्या पर इंदौर प्रेस क्लब के राजेन्द्र माथुर सभागृह में ‘बदलता जमाना और गांधी ’ विषय पर व्याख्यान देते हुए शिक्षाविद औऱ सामाजिक कार्यकर्ता स्वप्निल कोठारी ने ये बातें कहीं।
इसके पूर्व सामाजिक और गांधीवादी कार्यकर्ता अनिल त्रिवेदी, समाजसेवी विष्णु बिंदल, ने पद्मश्री जनक पलटा के साथ दीप प्रज्ज्वलन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ गांधीजी के प्रिय भजन ‘वैष्णवजन तो तेणे कहिए…’ से हुआ। वरिष्ठ गायिका शुभदा मराठे और उनकी शिष्याओं ने ‘गुरु कृपा अंजन पायो री मेरे भाई…’, ‘राम बिना कछु जानत नाही….’ और ‘रघुपति राघव राजाराम…’ ने अपने भजनों की प्रस्तुति से समूचे सभागृह को रोमांचित बनाए रखा। कार्यक्रम में संस्था सेवा सुरभि की ओर से संयोजक ओमप्रकाश नरेडा, अरविंद बागड़ी, अतुल शेठ, अरविंद जायसवाल, अनिल गोयल, मोहन अग्रवाल, गोविंद मंगल आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। उस्ताद अलाउद्दीन खां अकादमी के अध्यक्ष जयंत भिसे ने स्मृति चिन्ह भेंट किए। इस अवसर पर एसो. ऑफ इंडस्ट्रीज के प्रमोद डफरिया, अभ्यास मंडल के रामेश्वर गुप्ता, आलोक खरे, नेताजी मोहिते, पर्यावरणविद डॉ. ओ.पी. जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी सहित बड़ी संख्या में शहर की सामाजिक संस्थाओँ के पदाधिकारी एवं प्रतिनिधि मौजूद थे। विषय प्रवर्तन एवं संचालन संस्कृतिकर्मी संजय पटेल ने किया।