दूरसंचार क्रांति ने बदलकर रख दी है हमारी दुनिया : भाटिया

  
Last Updated:  May 19, 2024 " 04:32 pm"

यूपीए ट्रांजेक्शन से भारत बना रहा है नया रिकॉर्ड।

इंदौर : दूरसंचार क्रांति ने हमारी दुनिया को ही बदल दिया है। अब अधिकांश काम मोबाइल से होने लगे है। चाहे हवाई सफर करना हो, बिजली का बिल भरना हो या मूवी की टिकिट कराना हो, हर काम घर बैठे मोबाइल ऑनलाइन किए जा सकते हैं।

ये विचार रिलायंस जियो इंफोकॉम् के वाइस प्रेसिडेंट अमिताभ भाटिया ने व्यक्त किए। वे विश्व दूरसंचार और सूचना सोसाइटी दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन द इंस्टिटयूशन ऑफ इंजीनियर्स इंदौर लोकल ने इंजीनियर टीएन कुटुंबले स्मृति 26 वे लेक्चर के तहत एसजीएसआईटीएस सभागार में किया था।

भाटिया ने आगे कहा कि आज 5 जी का जमाना है, जहाँ मोबाइल की स्पीड बहुत अधिक बढ़ गई है। बड़ी बड़ी फाइले आसानी से लोड हो जाती हैं। दुनिया के किसी भी हिस्से में बात करना हो तो अब आसानी से हो जाती है। आने वाले वर्षों में तो यह और भी आसान हो जाएगा, क्योंकि 6 जी आने वाला है। आज हम फाइव जी मोबाइल चला रहे हैं। करीब 75 करोड़ मोबाइल धारक 5 जी वाले हैं। 2 जी मोबाइल धारक मात्र 25 करोड हैं।

भाटिया ने कहा कि दूरसंचार क्रांति के बाद अधिकांश लेन देन डिजिटल या ऑनलाइन हो रहा इसलिए लोगों ने वालेट मे पैसा रखना बंद कर दिया है। यू पी आई से हर माह लाखों की संख्या में ट्रांजेक्शन हो रहे हैं।

अपने संबोधन में एसजीएस आईटीएस के निदेशक डॉ. राकेश सक्सेना ने कहा कि इंदौर में इंजीनीयरिंग के 30 से अधिक कॉलेज हैं, जहाँ दूरसंचार के क्षेत्र में अच्छा काम हो रहा है।

बीएसएनएल के जनरल मैनेजर संजीव सिंघल ने कहा कि 17 मई 1856 को पेरिस मे पहली अंतरराष्ट्रीय टेलीग्राफ कंवेंशन हुई थी, हालांकि दूरसंचार दिवस 17 मई 1969 को घोषित किया गया। यूएनओ ने 17 मई 2005 को वर्ल्ड इंफॉरमेंशन सोसाइटी डे मनाने हेतु एक संकल्प लिया था।उसके बाद वर्ष 2006 से दोनों दिवस एक ही दिन मनाये जाने लगे जिसे नाम दिया विश्व दूरसंचार और सूचना सोसाइटी दिवस। सिंघल ने कहा कि यह कहना ठीक नही होगा कि मोबाइल टॉवर से निकलने वाले रेडिशन से कैंसर रोग होता है।

स्वागत भाषण संस्था के अध्यक्ष डॉ, दिनेश शुक्ला ने दिया। प्रतीक चिन्ह डॉ. शिल्पा त्रिपाठी, इंजी.आर पी गौतम, इंजी. रजनीश कुटुंबले ने प्रदान किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गिरीश सोनी ने किया। आभार इंजी. रमेश चौहान ने माना।

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