राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रस्ताव पारित कर की गई मांग।
केंद्र व प्रदेश सरकारों द्वारा संचालित योजनाओं का अधिकाधिक दृष्टिहीनों को लाभ देने पर भी दिया गया जोर।
इंदौर : राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हाल ही में चिड़ियाघर के सामने स्थित माहेश्वरी धर्मशाला में संपन्न हुई। दो दिवसीय इस बैठक में संस्था के राष्ट्रीय व प्रादेशिक पदाधिकारियों के साथ देश के 22 राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में देश व प्रदेश में दृष्टिहीनों की स्थिति और उनके लिए बनाई गई केंद्र व प्रदेश सरकार की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से जुड़ी योजनाओं पर चर्चा करते हुए उनका समयबद्ध और अधिकाधिक लाभ दृष्टिहीनों को दिलाने पर जोर दिया गया।
50 वर्ष से दृष्टिहीनों के कल्याण के लिए कार्यरत है संस्था।
राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ के राष्ट्रीय महासचिव संतोष कुमार रूंगटा ने बताया कि ये संस्था बीते 50 वर्षों से दृष्टिहीनों के अधिकारों और सशक्तिकरण के लिए काम कर रहा है। देश के 22 राज्यों में दृष्टिहीन संघ की इकाइयां जिला स्तर तक स्थापित हैं। संस्था के देशभर में करीब 40 हजार सदस्य हैं।
दृष्टिहीनों के सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रहीं कई गतिविधियां।
महासचिव रूंगटा ने बताया कि राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ गैर सरकारी संगठन है। इसे किसी तरह की सरकारी मदद नहीं मिलती, बावजूद इसके दृष्टिबाधितों के अधिकार और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में हमारा संगठन सतत प्रयासरत रहता है। उन्होंने बताया कि दृष्टिहीन युवाओं के लिए शिक्षा और रोजगार को लेकर दृष्टिहीन संघ कई गतिविधियां संचालित करता है। इंदौर व जबलपुर में दृष्टिहीन बालिकाओं के लिए और भोपाल में बालकों के लिए नि:शुल्क छात्रावास संचालित किए जा रहे हैं। हॉस्टल में रहनेवाले छात्र – छात्राओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हों सकें।
प्रदेश में दृष्टिहीनों के हजारों बैकलॉग पद हैं रिक्त।
महासचिव संतोष रूंगटा ने बताया कि मप्र में विभिन्न विभागों में दृष्टिहीनों के तीन से चार हजार बैकलॉग पद रिक्त हैं, जिन्हें सरकार द्वारा भरा नहीं गया है। दृष्टिहीन संघ द्वारा दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने इन रिक्त पदों को भरने का आदेश दिया था, बावजूद इसके, प्रदेश सरकार ने इन पदों को नहीं भरा है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस पर चर्चा कर सरकार से मांग की गई है कि वह दृष्टिहीनों के लिए आरक्षित बैकलॉग पदों को जल्द भरें ताकि नौकरी की बाट जोह रहे दृष्टिहीनों को उनका अधिकार मिल सकें। श्री रूंगटा ने कहा केंद्र और विभिन्न प्रदेशों की सरकारों से मांग की गई है कि वे दृष्टिहीनों के लिए बनाई गई योजनाओं पर अमल करते हुए उनका लाभ अधिकाधिक दृष्टिबाधितों तक पहुंचाएं, ताकि वे आत्मनिर्भर होकर समाज की मुख्यधारा से जुड़े और सम्मान से जीवन जी सकें।