धर्मवीर मीना ने संभाला पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक का अतिरिक्त कार्यभार

  
Last Updated:  July 1, 2025 " 11:57 pm"

मुंबई : मध्य रेलवे के महाप्रबंधक धर्मवीर मीना ने मंगलवार (01 जुलाई, 2025) को पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक के रूप में अतिरिक्त कार्यभार ग्रहण कर लिया।

धर्मवीर मीना भारतीय रेल सिग्नल इंजीनियर्स सेवा (IRSSE) के 1988 बैच के अधिकारी हैं। उन्होंने 1988 में एम.बी.एम. इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में बी.ई. की डिग्री प्राप्त की। उनके पास कानून में मास्‍टर्स डिग्री भी है। मार्च,1990 में वे रेलवे में शामिल हुए। दक्षिण पूर्व रेलवे, पश्चिम रेलवे, पश्चिम मध्य रेलवे और मध्य रेलवे में फील्‍ड और मुख्यालय दोनों में कई भूमिकाओं में उन्होंने कार्य किया है। उनके कार्यकाल की खासियत यह रही है कि उन्होंने सिग्नलिंग परियोजनाओं, विभिन्न मल्टी ट्रैकिंग परियोजनाओं और सुरक्षा कार्यों से जुड़े सिग्नलिंग कार्यों को रिकॉर्ड समय में पूरा किया है।

पश्चिम मध्य रेलवे के मुख्य सिग्नलिंग एवं दूरसंचार इंजीनियर (PCSTE) के रूप में उन्होंने रिकॉर्ड समय में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (EI) [994 मार्गों के न्यू कटनी जंक्शन (NKJ) के मेगा यार्ड, स्वचालित सिग्नलिंग कार्य (SBS), लेवल क्रॉसिंग (LC) इंटरलॉकिंग कार्य, मैकेनिकल सिग्नलिंग आदि का उन्मूलन सहित] सहित मथुरा जंक्शन से नागदा जंक्शन तक 548 किलोमीटर तक कवच कार्यों को सफलतापूर्वक स्थापित किया। श्री मीना ने रेल मंत्री के निर्देशानुसार स्थापित ‘कवच कार्य समूह’ का भी नेतृत्व किया, जिसमें भारतीय रेल में कवच के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए अनुभव साझा करने और सहयोग के लिए कवच को लागू करने में आपकी प्रमुख पहलों पर विचार किया गया।

मध्य रेल में प्रमुख मुख्य सिग्नलिंग एवं दूरसंचार इंजीनियर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (EI) [सीएसएमटी (छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) सहित], स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग (SBS), एक्सल काउंटरों द्वारा ब्लॉक साबित करना (BPAC), गति बढ़ाना, मल्टी ट्रैकिंग परियोजनाएं, परिचालन बाधाओं को दूर करना, लेवल क्रॉसिंग इंटरलॉकिंग और क्लोजर वर्क्स, गतिशीलता और थ्रूपुट वृद्धि कार्यों सहित रिकॉर्ड 88 सिग्नलिंग और संबंधित स्थापनाएं 126 दिनों के भीतर महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। उनके नेतृत्व में मध्य रेलवे कवच को लागू करने वाला पहला रेलवे बन गया है, जिसका कार्य पूरे क्षेत्रीय नेटवर्क के लिए तेज़ गति से चल रहा है, जो भारतीय रेल में पहला है। दोहरीकरण, मल्टी ट्रैकिंग और क्षमता वृद्धि में अब तक की सबसे अच्छी प्रगति उनके कार्यकाल के दौरान हासिल की गई है। मध्य रेल के प्रमुख यार्डों में ट्रैफिक कंजेशन को कम करने, गतिशीलता बढ़ाने, अतिरिक्त/नई ट्रेनों की शुरुआत आदि के लिए विभिन्न कार्यों की योजना, क्रियान्वयन सबसे तेज़ गति से चल रहा है।

वर्ष 2009 से 2014 तक पश्चिम रेलवे में उप मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में मीना ने संगठन की अखंडता, पारदर्शिता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए सतर्कता को सुधारात्मक और रचनात्मक उपकरण के रूप में उपयोग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सतर्कता प्रणाली सॉफ्टवेयर (IRIVINS) को लागू किया। इन प्रयासों की सराहना करते हुए वर्ष 2013 में उन्हें रेल मंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

श्री मीना ने INSEAD, सिंगापुर और ICLIF, मलेशिया में उन्नत प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम और ISB, हैदराबाद में रणनीतिक प्रबंधन कार्यशाला में भी भाग लिया है।

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